For the first time since independence tap water reached Dhanghari village on the Indo-Pak border

बाड़मेर. लोकरंग के राज्य राजस्थान में शुभ अवसर पर गाया जाने वाला ‘बधावा’, नल के कुमकुम-अक्षत से तिलक और घी के दीपक से उसी नल से आते पानी की मंगल आरती, यह सुखद नजारा देखने को मिला है बाड़मेर में. भारत-पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय सीमा पर बसे उस गांव में जहां साल 1947 में मिली देश की आजादी के बाद पहली बार हर घर में नल से जल आया है.

रेत के दरिया में छोटे से टापू सरीखे नजर आने वाले इस गांव के बाशिंदों ने कभी सपने में भी नही सोचा था कि उनके घरों तक पाइपलाइन बिछेगी और हर घर के नल से पेयजल आएगा. रेगिस्तान के दूसरे बड़े जिले बाड़मेर के भारत-पाकिस्तान सीमा पर बसे गडरा रोड उपखंड का ढगारी गांव. ढगारी उन गांव में से एक है, जहां डेजर्ट नेशनल पार्क के कारण ना तो पक्की सड़क है और ना ही बिजली का कोई स्थाई समाधान.

मूलभूत सुविधाओं के लिए आजादी के 77 साल बाद भी इस गांव के लोगों को संघर्ष करना पड़ रहा है. ढगारी गांव पूर्ण रूप से अनुसूचित जाति के लोगों का गांव है. तकरीबन 150 घरों की आबादी वाले इस गांव के लोगों का मुख्य व्यवसाय बरसात पर आधारित कृषि है. अकाल और सूखे के चलते पलायन यहां आम बात है. जल जीवन मिशन के लिए देश के सर्वाधिक चुनौती वाले इलाकों में से एक ढगारी गांव में पानी का पहुंचना किसी सपने से कम नहीं है.

इस गांव के जगदीश मेघवाल बताते हैं कि बचपन में जब किताबों में ‘न’ से नल पढ़ाया जाता था, तब समझ नहीं आता था कि नल होता क्या है, क्योंकि गांव के लोगों ने कभी नल देखा ही नहीं था. खारे और उच्च क्लोराइड की मात्रा वाले भूजल पर निर्भर इस गांव में जल जीवन मिशन की शुरुआत में जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के कार्मिकों और अधिकारियों ने ऊंटों पर बैठकर यहां के ग्रामीणों के बीच संवाद किया था.

इसी साल मई के दूसरे सप्ताह में जब इस गांव के हर घर नल से जल पहुंचा, तो सरपंच राजी देवी, गांव की गुड्डी वानर, कविता पंवार, रेखा पंवार, सोनू मेघवाल ने न केवल मंगल गीत गए साथ ही जीवनदायक पानी की मंगल आरती भी की है. किसी भी शुभ अवसर पर गया जाने वाला ‘बधावा’ गीत गाया गया और नल को माला पहनकर स्वागत किया गया. बाड़मेर की ढगारी गांव में पानी पहुंचने से पहले यहां होने वाले निर्माण के लिए सामग्री पहुंचाना ही सबसे बड़ी समस्या थी.

जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग बाड़मेर के अधीक्षण अभियंता विपिन जैन के मुताबिक इस गांव में जितने चुनौती पूर्ण हालात थे, विभाग ने उन चुनौतियों को ही अपनी ताकत बनाकर काम किया. विपरीत प्राकृतिक परिस्थितियों, पानी की नगण्यता, पक्की सड़क का अभाव, संसाधनों की कमी पर कड़ी मेहनत, सामूहिक प्रयास, ग्रामीणों से लगातार संवाद के जरिए कार्य को निरंतर किया गया. 6 से 8 महीने के अंदर भारत-पाकिस्तान की सड़क पर बसे एक रेतीले गांव ढगारी में हर घर में पानी नल से पहुँचा, वह जल जो अब तक आँखों और सपनों में ही था.

Tags: Barmer news, Local18, Rajasthan news

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