पंकज सिंगटा/शिमलाः लोगों का मानना है कि शिमला में रहने वाले लोगों में एक अलग शक्ति है, क्योंकि यहां बंदर लोगों के बीच में रहते है और लोगों को नुकसान भी नहीं पहुंचाते. हालांकि बंदरों के आतंक की घटनाएं भी कई बार सामने आती है, लेकिन उसके बावजूद भी बंदर लोगों के बीच में ही रहते है.
शिमला आने वाले पर्यटकों को अक्सर बंदरों का डर भी लगा रहता है. शिमला में बंदरों की इस भारी संख्या के पीछे एक पौराणिक कहानी है, जो रामायण काल से जुड़ी है.जाखू मंदिर के पुजारी बीपी शर्मा ने कहा कि शिमला में इस बड़ी संख्या में बंदरों का होना रामाणय काल से जुड़ा है. यह बंदर भगवान हनुमान के साथ यहां आए थे और बाद में यहीं रह गए.
जाखू की पहाड़ी पर मौजूद
पुजारी बीपी शर्मा ने कहा कि यह पूरा किस्सा उस समय का है जब रामायण में युद्ध के दौरान मेगनाथ के तीर से लक्ष्मण मूर्छित हो गए थे. इसके बाद हनुमान संजीवनी की तलाश में हिमालय की ओर निकले और उनकी नजर जाखू की पहाड़ी पर मौजूद यक्ष ऋषि पर पड़ी. भगवान हनुमान ने उनसे संजीवनी का पता पूछा और वचन दिया कि वे लंका जाते वक्त जरूर वापिस आएंगे. इस दौरान हनुमान के साथ एक वानर सेना भी यहां पहुंची थी, जो जाखूकी पहाड़ी पर ही रुक गई और हनुमान संजीवनी के लिए हिमालय की ओर चल दिए. काल नेमी के मायाजाल के कारण हनुमान को देरी हो गई और वो सीधा लंका के लिए रवाना हो गए. इस कारण हनुमान के साथ आई वानर सेना यहीं रह गई. बंदरों का स्वभाव होता है कि वे एक स्थान पर 3 या 4 दिन से ज्यादा नहीं रुकते है, लेकिन शिमला में 12 महीने बंदर देखने को मिलते है.
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FIRST PUBLISHED : March 15, 2024, 17:50 IST