नई दिल्ली. 2011 में ममता सरकार ने जिस तरह OBC आरक्षण में मुस्लिमों की घुसपैठ कराई थी, क्या इंडी गठबंधन की सरकार में भी वैसा हो सकता है? अगर ‘इंडी’ गठबंधन की सरकार बनी तो क्या मुस्लिम आरक्षण के लिए संविधान बदल दिया जाएगा? सबसे बड़ा सवाल है कि क्या तुष्टिकरण का ‘आरक्षण फॉर्मूला’ पूरे देश में लागू हो जाएगा? और क्या मुस्लिम आरक्षण ही ‘इंडी’ गठबंधन का कॉमन मिनिमम प्रोग्राम है? ऐसे कई सवाल इसलिए हैं क्योंकि मुस्लिम आरक्षण पर ‘इंडी’ गठबंधन की जो चुप्पी थी, उसका राज समाजवादी पार्टी के नेता एसटी हसन ने खोल दिया है.
ये भी कह सकते हैं कि एसटी हसन ने मुस्लिम आरक्षण पर ‘इंडी’ गठबंधन के कॉमन मिनिमम प्रोग्राम का एजेंडा लीक कर दिया है. ‘इंडी’ गठबंधन के लिए समाजवादी पार्टी की ओर से एसटी हसन ने कहा है कि ‘इंडी’ गठबंधन की सरकार बनी तो देश का संविधान बदल देंगे और मुस्लिमों को आरक्षण दिया जाएगा. एसटी हसन ने पूछा है कि मुसलमान क्या देश के नागरिक नहीं हैं. अगर हिंदू जाति में धोबी को OBC आरक्षण का लाभ मिल सकता है, तो मुस्लिम में धोबी जाति को आरक्षण का लाभ क्यों नहीं मिल सकता?
यहां सवाल ये है कि जब ये कहा जाता है कि इस्लाम धर्म में जाति नहीं है और इस्लाम में जाति के नाम पर कोई भेदभाव नहीं होता है. इस्लाम में सभी बराबर हैं, तो फिर इस्लाम में जाति के नाम पर किसी तरह का आरक्षण होना चाहिए या नहीं? एसटी हसन का बयान ऐसे वक्त में आया है, जब मुस्लिम आरक्षण पर सबसे ज्यादा चर्चा में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी हैं. लालू यादव भी मुस्लिम आरक्षण की वकालत कर चुके हैं. राहुल गांधी का 2012 वाला बयान भी लगातार हेडलाइन्स बनता रहा है. जिसमें उन्होंने मुस्लिमों को आरक्षण देने की बात कही थी और मुलायम सिंह पर सवाल उठाए थे, कि वो मुस्लिम आरक्षण क्यों नहीं देते?
सवाल है कि क्या इसीलिए समाजवादी पार्टी को लगा कि मुस्लिम आरक्षण की रेस में ‘इंडी’ गठबंधन में पिछड़ रही है? और क्या इसीलिए समाजवादी पार्टी की ओर से एसटी हसन ने बयान दिया, कि ‘इंडी’ की सरकार बनी तो मुस्लिम आरक्षण के लिए संविधान ही बदल दिया जाएगा. एसटी हसन की बात में दम क्यों है, ये बात आप राहुल गांधी और लालू यादव के बयान से समझ सकते हैं.
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FIRST PUBLISHED : May 24, 2024, 21:03 IST