दीपक पाण्डेय/खरगोन. अवैध हथियार बनाकर बेचने के मामले में मध्य प्रदेश का खरगोन फेमस है. पुलिस की मानें तो यहां सिकलीगर समुदाय के लोग बीते कई वर्षों से अवैध देसी कट्टे और पिस्टल बनाकर अलग-अलग राज्यों में बेचते रहे हैं. खरगोन का सिग्नूर गांव इस मामले में सबसे ज्यादा बदनाम है. क्योंकि, इसी गांव में बड़े पैमाने पर अवैध हथियारों का कारोबार होता है.
लेकिन, अब वक्त बदल रहा है. सिकलीगर समुदाय के लोग इस दलदल को छोड़कर सम्मान के साथ एक नई जिंदगी जीने की राह पर चल पड़े हैं. प्रशासन की पहल के बाद समुदाय के 50 फीसदी से ज्यादा लोग हथियार बनाना छोड़ चुके हैं. आजीविका मिशन के तहत स्वरोजगार के लिए अलग-अलग कार्य क्षेत्रों में ट्रेनिंग ले रहे हैं. उनका मानना है कि अगर सरकार साथ दे वो इस बदनामी के दाग को धो सकते हैं.
समुदाय ने रखी मांग
समुदाय ने स्वरोजगार हेतु ऑटो पार्ट्स, किराना दुकान, कपड़ा दुकान, ताला चाबी कार्य, भैंस पालन, मछली पालन, बकरी पालन, ब्यूटी पार्लर, आटा चक्की, कंप्यूटर कार्य, गन्ना जूस मशीन, कटलरी, टेंट हाउस, मोटर वेल्डिंग सहित मुर्गी पालन, सिलाई जैसे कार्यों में रुचि दिखाई है. साथ ही स्वरोजगार के लिए 2 से 10 लाख रुपए तक की राशि की भी मांग की है.
उच्च स्तरीय मीटिंग में निर्णय
जिला कलेक्टर कर्मवीर शर्मा ने बताया कि सिकलीगर समुदाय के लोगों को समाज की मुख्यधारा में शामिल करने के लिए समुदाय के प्रमुख लोगों के साथ उच्च स्तरीय मीटिंग भी हुई है. इसमें तय हुआ कि अगर समुदाय के लोग स्वेच्छा से अवैध हथियार बनाने का काम छोड़ते हैं तो सरकार की योजनाओं के माध्यम से उन्हें आजीविका का साधन उपलब्ध कराया जाएगा. उसी के तहत शिविर और रोजगार मेले लगाकर समुदाय के लोगों को रोजगार दिला रहे हैं.
स्थानीय स्तर पर देंगे नौकरी
आजीविका मिशन के अंतर्गत सिगनूर, सतीपुरा एवं धुलकोट की 105 महिलाओं को बकरी पालन का प्रशिक्षण दिया है. मारुति सुजुकी कंपनी में युवाओं को प्रशिक्षण भी मिल रहा है. 10 पढ़े-लिखे युवाओं को नौकरी के लिए बाहर भेजा है. समाज के लोगों को पट्टे भी दिए हैं. स्थानीय स्तर पर भी शिक्षित युवाओं को नौकरी देंगे.
हथियार बनाना सिर्फ मजबूरी
समुदाय के राजवीर सिंह चावला ने कहां कि हम खुद अवैध गतिविधियों में लिप्त नहीं रहना चाहते. शासन पढ़े-लिखे युवाओं को सरकारी नौकरी दे. बबलू सिंह भाटिया ने कहां कि दूसरा कोई काम नहीं है, इसलिए मजबूरी में ये काम करते हैं. लेकिन, अब हम चाहते हैं कि हमारे बच्चे और आने वाली पीढ़ी इस काम से दूर रहे.
बच्चों के भविष्य की चिंता
कमल सिंह भाटिया ने कहा कि वह 5वीं तक पढ़े हैं. 47 साल उम्र हो गई है. एक पैर से विकलांग हैं. बेटे के भविष्य को लेकर चिंतित हैं. आज भी कच्चे मकान में अंधेरे में रह रहे हैं. वह नहीं चाहते कि उनका बेटा भी उन्हीं की तरह अवैध गतिविधियों में शामिल रहे.
13 साल पहले छोड़ दिया काम
अजीत सिंह ने कहा कि काजलपुरा ऐसा गांव है, जहां 13 साल से समुदाय के लोगों ने हथियारों को हाथ तक नहीं लगाया है. 2011 में प्रशासन के साथ हुई बैठक में हथियार छोड़ने का संकल्प लिया था. इसके बाद पूरी तरह से यह गांव बदल गया है.
समुदाय के 1000 से ज्यादा सदस्य
प्रशासन ने जिले के 5 ब्लॉक के 10 गांवों में बारीकी से सर्वे किया. पता चला कि सिकलीगर समुदाय के 224 परिवार निवास कर रहे हैं. कुल आबादी 1031 के करीब है. समुदाय के अधिकांश लोग शिक्षित हैं. प्रशासनिक सर्वे रिपोर्ट के अनुसार, भगवानपुरा ब्लॉक के गांव सतीपुरा, सिरवेल, धुलकोट, गरी में 82 परिवार, झिरन्या ब्लॉक के गांव तितरान्या, धसलगांव में 9 परिवार, गोगावां ब्लॉक के गांव सिग्नूर, घनामाल में 114 परिवार, खरगोन एवं बड़वाह ब्लॉक में 19 परिवार निवास करते हैं.
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FIRST PUBLISHED : March 10, 2024, 22:01 IST