Employment Is Big Issue Of Firozpur In Loksabha Election – Amar Ujala Hindi News Live

Employment is big issue of Firozpur in Loksabha Election

हुसैनीवाला बॉर्डर
– फोटो : फाइल

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पंजाब से हर साल सैकड़ों युवा रोजगार की तलाश में विदेश जा रहे हैं, इससे पंजाब के विभिन्न जिलों पर गहरा असर पड़ रहा है। लोगों का कहना है कि व्यापार वास्ते हुसैनीवाला बॉर्डर खोला जाए तो युवा विदेश जाना बंद हो सकते हैं, क्योंकि उन्हें यहीं पर रोजगार के कई साधन उपलब्ध होंगे। लोग घर-जमीन बेच कर अपने पढ़े-लिखे बच्चों को रोजगार की खातिर विदेश भेज रहे हैं और खुद कर्ज तले दबे हैं।

समाजसेवी राजेश कुमार का कहना है कि पैसा खर्च कर महंगे स्कूलों में बच्चों को पढ़ा-लिखा कर भी रोजगार नहीं मिल पा रहा है। मजबूरी में रोजगार की खातिर बच्चों विदेश भेजना पड़ रहा है, क्योंकि यहां पर रोजगार नहीं मिलने पर बच्चे मानसिक तौर पर बीमार हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत-पाकिस्तान के बीच व्यापार वास्ते हुसैनीवाला बॉर्डर खुल जाए, तो बच्चे विदेश जाना बंद हो जाएंगे, क्योंकि यहां पर रोजगार के साधन काफी उपलब्ध होंगे। 

समाजसेवी अशोक कुमार का कहना है कि पहले भारत-पाकिस्तान के बीच व्यापार वास्ते हुसैनीवाला बॉर्डर खुला था। दो युद्धों के बाद इसे बंद कर दिया गया। यहां पर फल व अन्य वस्तुओं के ट्रक भर कर आते-जाते थे और दिन-रात कार्य चलता था। अब भी ऐसा हो सकता है। यदि भारत सरकार चाहे और यहां से जीत कर संसद में नेता आवाज उठाए, ये लोग वोट लेने के बाद लोगों की आवाज संसद में नहीं उठाते हैं। इसीलिए कई सालों से उक्त बॉर्डर व्यापार वास्ते बंद पड़ा है। 

फिरोजपुर लोकसभा हलके से लगभग 27 साल शिअद से सांसद बनता रहा है, किसी ने भी हुसैनीवाला बॉर्डर खोलने के लिए संसद में आवाज नहीं उठाई है, जबकि अकाली-भाजपा का गठबंधन भी रहा है और भाजपा की दस साल केंद्र में सरकार रही है। किसान भी यही चाहते हैं कि व्यापार के लिए हुसैनीवाला बॉर्डर फिर से खोला जाए, ताकि वे भी अपनी फसलें कहीं भी बेच सके। 

पंजाब से भारत-पाकिस्तान की बॉर्डर पट्टी लगभग साढ़े पांच सौ किलोमीटर लंबी है। उधर, सीनियर सिटीजन सतपाल का कहना है कि पंजाब का फिरोजपुर सबसे बड़ा जिला था, लेकिन राजनीतिक नेताओं ने अपने स्वार्थ की खातिर इसके कई टुकड़े कर मुक्तसर, फाजिल्का, मोगा व फरीदकोट जिले बना दिए। जब उक्त बॉर्डर व्यापार वास्ते खुला था तो यहां पर लोगों का आना-जाना था। छावनी रेलवे स्टेशन के सामने बहुत बड़ी धर्मशाला बनी थी। यहीं पर व्यापारी आकर ठहरते थे।  

 

 

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