पलामू. कहते हैं मेहनत इतनी खामोशी से करो की सफलता शोर मचा दें. इसे साबित किया है पलामू जिले के मेधावी छात्र सौरव कुमार ने. झारखंड एकेडमिक कॉन्सिल के द्वारा इंटर का परीक्षा परिणाम जारी कर दिया गया है. मानव देवी डेडीकेटेड इंटर कॉलेज का वाणिज्य संकाय का मेधावी छात्र सौरव कुमार ने 454 अंक लाकर जिले में पहला स्थान प्राप्त किया है. इसके लिए वो अपने सफलता का श्रेय मां को दिया है.
दरअसल, मेदिनीनगर शहर की निवासी प्रभा देवी का 18 वर्षीय सौरव कुमार ने वाणिज्य संकाय से जिला में पहला स्थान प्राप्त किया है. बातचीत में सौरव कुमार ने लोकल18 को बताया कि उनके पिता का देहांत चार साल पहले हार्ट अटैक के कारण हो गया था, जिसके बाद घर में काफी समस्या बढ़ गई. लेकिन मां ने एनजीओ ज्वाइन कर मुझे पढ़ाने लिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ी. सौरव ने बताया कि ‘जब मैंने अपने मार्क्स देखे तो मैं डर गया. मुझे विश्वास था कि मैं इससे ज्यादा नंबर लाऊंगा, लेकिन जब कालेज से पता चला मेरा कॉमर्स में पूरे जिले में पहला स्थान है तो खुशी का ठिकाना न रहा. मेरे प्रथम आने पर मां भी बहुत खुश हुई’.
बनना चाहता है चार्टर्ड अकाउंटेंट
आगे बताया कि इस सफलता का दूसरा श्रेय कॉलेज की प्राचार्य श्वेता मैम को जाता है. जो समय-समय पर मोटिवेट करते रहती थी. कई बार मैम उन्हें अलग ले जाकर समझाती थी कि वो सबसे अलग है और टॉपर बन सकते है. जिसका प्रभाव पड़ा कि वो जिला टॉपर बने. उन्होंने बताया कि एक बार वो बहुत तनाव में हो गए थे. तब मैम ने उन्हें घंटो बैठाकर समझाया और प्रेरित किया. इसके फलस्वरूप आज वो टॉपर बने है. उन्होंने बताया कि भविष्य में उन्हें सीए बनना है, जिसे लेकर पहली परीक्षा जून में है. इसके लिए वो खास तैयारी भी कर रहे हैं.
सौरव ने दस घंटे की सेल्फ स्टडी
आगे बताया की किसी भी सफलता में सबसे बड़ा महत्वपूर्ण योगदान सेल्फ स्टडी का होता है.वो कॉलेज और ट्यूशन द्वारा मिले टास्क को घर पर भरपूर मेहनत करते थे. हर दिन 8 से 10 घंटे पढ़ाई करते थे. बताया कि आज के समय में सबसे ज्यादा समस्या सोशल मीडिया द्वारा डिस्ट्रेक्शन का होता है, जिससे बचने के लिए खुद को प्रायोरिटी के हिसाब से पढ़ाई करने की जरूरत पड़ती है. बच्चे अगर खुद पर भरोसा कर सिस्टेमेटिक ढंग से शिक्षक द्वारा बताए टास्क को पूरा करेंगे तो सफलता जरूर मिलेगी.
बच्चों की प्रतिभा को पहचानना शिक्षक की प्राथमिकता
कॉलेज प्राचार्य श्वेता ने बताया कि बच्चों की प्रतिभा को शिक्षक को पहचानना जरूरी होता है. सौरव में क्वालिटी थी कि वो टॉप करेगा. बच्चों में पढ़ाई के दौरान बहुत उतार चढाव होता है. इस दौरान शिक्षक को उन्हें मोटिवेट करने की जरूरत पड़ती है. वहीं डेडीकेटेड एकेडमी में बच्चों को खास नोट दिया जाता है. इसके साथ सेहत समय समय पर मॉडल क्वेश्चन को क्लास में सॉल्व कराया जाता है. बच्चों को दिए जाने वाले नोट्स और मैटेरियल बोर्ड लेवल से उपर कंपेटेटिव लेवल का दिया जाता है. ताकि बच्चे अपने फ्यूचर को लेकर भी आगे बढ़ते है.
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FIRST PUBLISHED : April 30, 2024, 21:29 IST