शशिकांत ओझा/पलामू. किसी भी फसल के उत्पादन में जल की सबसे जरूरी आवश्यकता होती है. खरीफ सीजन हो या रवि के फसल के लिए किसानों को जल की सबसे ज्यादा व्यवस्था करनी पड़ती है. किसान केवल नदी नाले और भूगर्भीय जल से फसल उत्पादन नहीं कर सकते है. इसके लिए किसानों को सबसे खास तौर पर वर्षा जल संचयन करना बेहद जरूरी है. इससे किसान सालों भर फसल उत्पादन कर सकते है.
झारखंड राज्य में हर वर्ष 1400 एम एम वर्षा होती है. यहां के किसानों के लिए बेहतर है. किसान जल श्रोत निर्माण कर वर्षा जल के बहाव को रोक लेंगे तो उन्हे फसल हेतु पानी की कमी नहीं होगी. गर्मी के मौसम में प्राकृतिक हो या मानव निर्मित जल श्रोत सुख जाते है. इस मौसम में किसानों को नए जल श्रोत निर्माण करना बेहद आवश्यक है. इसके साथ साथ किसानो को मेढ़ की मरमत्ती करना भी जरूरी है. कृषि वैज्ञानिक प्रमोद कुमार ने लोकल18 से कहा कि वर्षा जल को संचयन करना बेहद जरूरी है. वर्षा जल के संचयन कर किसान 9 महीने तक फसल उत्पादन के लिए जल की सुविधा व्यवस्था कर सकते है. बारिश होने से पहले प्राकृतिक खेत के मेढ़ की मरमत्ती और नए जल श्रोत का निर्माण कराने का उपयुक्त समय चल रहा है.
खेत का पानी जाए खेत में
जब खेत से पानी बह कर नदी नालों में जाता है.तो खेत के पोषक तत्व भी बह जाता है. इसके लिए किसानों को अपने खेत के दसवें हिस्से में जल श्रोत का निर्माण करे. जिससे उनके फसल को सालों भर पानी मिल सके. किसान को सुखा का मार न झेलना पड़े इसका एक हीं विकल्प है. पानी को जल श्रोत में संचयन करना और पंप के सहारे पटवन करना.
जल श्रोत के लिए इस जमीन का करे चयन
अपने खेत के दसवें हिस्से में जल श्रोत का निर्माण करे.इसके लिए न तो ऊंची और न हीं नीची जमीन का चयन करे.इसके लिए मध्यम जमीन में जल श्रोत का निर्माण जे सी बी से करे.इसके अलावा सरकार द्वारा मनरेगा के तहत भी तालाब का निर्माण कराया जाता है.जिसका लाभ किसान उठा सकते है.
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FIRST PUBLISHED : April 28, 2024, 16:39 IST