पीयूष पाठक/अलवरः प्रदेश में अब तापमान बढ़ने लगा है, जिससे लोगों को गर्मी का एहसास हो रहा है. मौसम बदलने के साथ ही खान-पान के तरीकों में भी फर्क दिखाई देता है. तेज गर्मी के चलते अब लोग जूस की दुकानों की तरफ रुख करने लगे हैं. बात अगर अलवर में जूस पीने की हो तो, यहां के लोगों के कदम अपने आप घंटाघर की ओर चल पड़ते है. यहां एक दुकान ऐसी है, जहां पूरे साल गन्ने का ताजा जूस मिलता है. यह दुकान करीब 71 सालों से संचालित की जा रही है. यहां पर लोग मिट्टी के कुल्हड़ में जूस पीना ज्यादा पसंद करते हैं. जयपुर व दिल्ली के ग्राहकों की यह दुकान पहली पसंद है.
जूस की दुकान पर 35 सालों से काम करने वाले अमर सिंह ने बताया कि य़ह दुकान अलवर मे 70 सालों से भी ज्यादा समय से चल रही है. लोग यहा जूस पीने के बाद कहते हैं कि यहां के जूस का जैसा टेस्ट कहीं नहीं मिलता है. दुकान की शुरुआत निरंजन लाल आहूजा व मुकुंद लाल आहूजा ने की. शुरुआती समय में यहां कांच के गिलास में जूस लोगों को दिया जाता था. तब इसकी कीमत दो आने थी. लेकिन जैसे-जैसे समय बदला कांच के गिलास से प्लास्टिक के गिलास व मिट्टी के कुल्हड़ में अब लोगों को जूस दिया जाता है. महंगाई के साथ कीमत में भी इजाफा हुआ है अब जूस की कीमत 20 रुपए व 30 रुपए की हो गई है. अमर सिंह ने बताया कि वैसे तो अलवर में कई गाने के जूस की दुकान है लेकिन घंटाघर पर संचालित हमारी दुकान पर लोगों को जूस पीने का एक अलग ही आनंद आता है.
महाराष्ट्र से मनाया जाता है गन्ना, लगती है लोगों को लाइन
अमर सिंह ने बताया कि पिछले बार गर्मी का मौसम लेट आया, जिस वजह से जूस के व्यवसाय पर भी असर पड़ा. लेकिन इस बार गन्ने की जूस की डिमांड अच्छी चल रही है. यह अलवर जिले की एकमात्र दुकान है, जो पूरे साल लोगों को गन्ने के जूस का स्वाद उपलब्ध करवाती है. अमर सिंह ने बताया हमारी दुकान पर आने वाला गाना महाराष्ट्र व देहरादून से मंगवाया जाता है. इस दुकान पर बाजार में आने वाले लोग खरीदारी करने से पहले जूस पीते हैं. जिसके चलते यहां पर सुबह से ही ग्राहकों की लंबी लाइन लगती है.
दिल्ली व जयपुर के लोगों की पहली पसंद है यह दुकान
अमर सिंह ने बताया कि हमारी दुकान पर शहर वासियों के साथ-साथ बाहरी राज्यों से आने वाले व्यक्ति भी जूस का स्वाद लेते हैं. दिल्ली व जयपुर के लोगों की यह दुकान पहली पसंद है. जब भी यह लोग अलवर आते हैं तो हमारी दुकान पर जूस पीने के लिए जरूर आते हैं.
.
FIRST PUBLISHED : April 24, 2024, 17:01 IST