हिमांशु जोशी/ पिथौरागढ़. पिथौरागढ़ में आज भी तमाम पेयजल योजना चलने के बाद भी शहर की आधी आबादी अभी भी प्राकृतिक जल स्रोतों पर ही निर्भर है. शहर के ऐसे कई इलाके हैं जहां गर्मियों में लोग जल संकट से जूझ रहे हैं. जिन्हें दूर जाकर नौलों-धारों से ही पानी लाना पड़ रहा है.
कई इलाकों में 3 दिन में एक बार आता है पानी
बात अगर जिले के ग्रामीण इलाकों की करें, तो यहां हाल और बुरा है. पानी की कमी के चलते लोग गांव छोड़ने को भी मजबूर है. शहर के इलाके की बात करें तो यहां गर्मियों में 3 दिन में एक बार ही पानी की सप्लाई लोगों को मिल रही है. जो पेयजल आपूर्ति के लिए काफी नहीं है.
जिले की चार पेयजल योजनाओं से नहीं हो रही आपूर्ति
जिले में अरबों की लागत से चार पेयजल योजनाएं संचालित की जा रही हैं, जिसका फायदा जनता को नहीं मिल रहा है. आज भी पहाड़ों में लोग नौले धारों पर ही निर्भर हैं, और कई इलाकों के तो प्राकृतिक स्रोत भी सुख चुके हैं.
विधायक महर ने अधिकारियों को बताया असंवेदनशील
पानी की समस्या पर पिथौरागढ़ के विधायक मयूख महर ने तीखे अंदाज में जल संस्थान और जल निगम को इसका जिम्मेदार बताया उन्होंने बताया कि दोनों विभाग भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई हैं, जिन्होंने अरबों की पेयजल योजनाओं को गंभीरता से नहीं लिया सिर्फ खानापूर्ति की है. उन्होंने कहा की कहीं भी पेयजल लाइन टूटती है, तो उसकी शिकायत पर भी इनके अधिकारी कान में रुई डाल कर सोए रहते हैं.
नदियों में कम हुआ जल स्तर
पेयजल आपूर्ति की समस्या को लेकर पिथौरागढ़ की जिलाधिकारी रीना जोशी कहती है कि नदियों में वाटर लेवल कम हो जाने से पेयजल आपूर्ति कम हुई है. जिन इलाकों में यह दिक्कत है, वहां टैंकरों के माध्यम से पानी की आपूर्ति की जा रही है.
प्राकृतिक जल स्रोतों को संरक्षण की जरूरत
एक तरफ अरबों रुपए खर्च कर बनाई गई पेयजल योजनाएं हैं, तो दूसरी तरफ प्रकृति से फ्री मिले प्राकृतिक जल स्रोत. पहाड़ों में आज नौले धारे ही लोगों की प्यास बुझा रहे हैं. ऐसे में इन प्राकृतिक जल स्रोंतों की महत्ता को समझ इन्हें संरक्षण की काफी जरूरत है, ताकि आने वाली पीढ़ी को भी जल संकट से न जूझना पड़े.
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FIRST PUBLISHED : April 23, 2024, 17:10 IST