ओम प्रकाश निरंजन / कोडरमा.अगर हाथों में हुनर हो और मन में कुछ कर गुजरने की तमन्ना तो कोई भी राह मुश्किल नहीं होती है. इस वाक्य को कोडरमा के ताराटांड़ निवासी अंजू देवी ने साबित कर दिखाया है. जीवन में एक ऐसा समय आया जब जीवन भर साथ निभाने का वादा करने वाले ने अचानक साथ छोड़ दिया तब मां के द्वारा सिखाया गया हुनर उनका सहारा बना. अंजू समाज के लिए आज एक मिसाल कायम कर रही हैं.
ताराटांड़ निवासी अंजू देवी ने विशेष बातचीत में कहा कि पहले वह सिलाई दुकान के लिए महिलाओं की कपड़े सिलती थी. लेकिन, वर्ष 2006 में बेटी की जन्म के बाद पति ने उन्हें छोड़ दिया. इस मुश्किल दौर में उन्होंने अपने हुनर के बल पर बेटी को बेहतर परवरिश देने का मन बनाया. इसके बाद उन्होंने खुद का कारोबार शुरू किया. किराए के मकान में छोटी सी जगह में उन्होंने महावीरी झंडा और माता की चुनरी सिलाई का काम शुरू किया. अंजू ने बताया कि उन्होंने अपने काम में कुछ जरूरतमंद महिलाओं को भी जोड़ा और उन्हें भी रोजगार उपलब्ध कराया है.
दूसरे जिले में भी सप्लाई
अंजू ने बताया कि रामनवमी के 6 महीने पहले से वह अलग-अलग साइज के महावीरी झंडा तैयार करने में जुट जाती हैं. बाकी के 6 महीने वह चुनरी सिलने का काम करती हैं. पांच महिलाओं के साथ मिलकर प्रतिदिन 500-600 महावीरी झंडा उनके द्वारा तैयार किया जा रहा है. जिसकी बाजार में कीमत 5 रुपये से लेकर 2 हजार रुपये तक है. घर पर तैयार झंडे दुकानदार घर से आकर ले जाते हैं. इसकी सप्लाई कोडरमा के अलावे डोमचांच, गिरिडीह, बरही,चौपारण आदि इलाके में हो रही है. किराए के कमरे में रहकर वह महीने का 80 से 90 हजार रूपये का कारोबार कर रही हैं.
बेटी को अफसर बनाने की है तमन्ना
अंजू ने बताया कि वह अपनी बेटी अन्नू को पढ़ा लिखा कर एक बड़ा अफसर बनना चाहती है. अन्नू भी अपने मां की हौसले और जज्बे को सलाम करती है. अन्नू ने बताया कि बचपन से उसने अपनी मां को इस सिलाई मशीन के साथ देखा है. इसी सिलाई मशीन के सहारे उसकी परवरिश भी हो रही है. जो भी जरूरतमंद महिला उसकी मां के पास आती है. उसे मां अपने साथ रोजगार भी देती है.
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FIRST PUBLISHED : April 13, 2024, 16:55 IST