तनुज पांडे/नैनीताल: पौधों के कई प्रकार और प्रजातियों के बारे में आपने सुना होगा. कुछ पौधों से जुड़ी तो दिलचस्प कहानियां सुनने को मिलती हैं. एक ऐसा ही खास पौधा है परिजात (Parijat) का. इस पौधे का संबंध महाभारत (Mahabharata), भगवान कृष्ण और रुक्मणी से बताया जाता है.
महाभारत से जुड़ा पौधा
कहा जाता है कि महाभारत में भगवान श्री कृष्ण ने परिजात के पौधे को रुकमणी के लिए स्वर्ग से धरती पर लेकर आए थे. नारद मुनि ने श्रीकृष्ण को भेंट में परिजात का पौधा दिया था. लगभग 1000 वर्ष की आयु वाला परिजात का पुष्प माता लक्ष्मी को बेहद प्रिय है. वहीं, परिजात का पौधा मनोकामना पूर्ण करने वाला माना गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी परिजात के पौधे को अयोध्या के राम मंदिर में लगा चुके हैं.
बहुत खास होता है परिजात
उत्तराखंड के नैनीताल स्थित डीएसबी कॉलेज की वनस्पति विज्ञान विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. हिमानी कार्की ने लोकल 18 को बताया कि परिजात के पौधे को नाइट जैस्मीन के नाम से भी जाना जाता है. इसके अलावा इस पौधे को हरसिंगार, शेफाली, शिउली आदि नामों से जाना जाता है. इसका वानस्पतिक नाम निकटेन्थिस अरबोट्रिस्टिस है. इसका वृक्ष 10 से 15 फीट तक ऊंचा होता है. परिजात के पौधे में सुंदर सफेद फूल उगते हैं. यह कई औषधीय गुणों से युक्त है. यह पौधा गर्म इलाकों में उगता है.
इस वजह है चमत्कारी
इस पौधे में रात के समय फूल खिलते हैं. साथ ही सुबह के समय इसके फूल गिरते हैं. सुबह-सुबह गिरे इसके फूल भगवान शिव को बेहद प्रिय है. उन्होंने बताया की आध्यात्मिक दृष्टि के आलावा यह पौधा औषधीय रूप से भी बेहद खास है. इस पौधे का तना, छाल, पत्तियां, फूल बीज सभी चीजें स्वस्थ के लिए बेहद कारगर हैं. इस पौधे से बनाई गई दवाएं कैंसर की बीमारी से लड़ने में कारगर है. इसके अलावा ऑर्थोरिस, त्वचा संबंधित बीमारियों में बेहद कारगर है.
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FIRST PUBLISHED : June 28, 2024, 12:56 IST