50 सालों तक होती रही खुदाई, फिर सामने आई इतिहास की चौंकाने वाली सच्चाई, जो 4 हजार साल से था दफ्न!

धरती ने अपने सीने में कई ऐसे राज छुपा रखे हैं, जिनके बारे में कोई नहीं जानता. लेकिन जब कहीं खुदाई की जाती है, तो इसके साक्ष्य मिलते रहते हैं. हालांकि, ऐसा सभी जगहों पर नहीं होता, लेकिन कुछ ऐसे स्थल हैं, जहां पर इतिहास से जुड़ी हजारों साल पुरानी चीजें दफ्न हैं. ऐसी ही एक जगह दक्षिणी इराक में बगदाद और बसरा के आधुनिक शहरों के बीच में स्थित गिरसू का प्राचीन सुमेरियन शहर है. यह दुनिया के सबसे पहले ज्ञात शहरों में से एक है, जो कभी लगश साम्राज्य की राजधानी था. यहां पर लगातार खुदाई का कार्य चलता रहता है और इतिहास से जुड़े तथ्य भी मिलते रहते हैं.

कुछ साल पहले शहर के आर्थिक, प्रशासनिक और वाणिज्यिक मामलों के रिकॉर्ड के साथ हजारों क्यूनिफॉर्म गोलियों (Cuneiform Tablets) के रूप में सुमेरियन सभ्यता के साक्ष्य पहली बार खोजे गए थे. इस विशाल पुरातत्व स्थल की 50 सालों से लगातार खुदाई होती रही, जिसमें सुमेरियन कला और वास्तुकला के कुछ सबसे महत्वपूर्ण धरोहर सामने आए हैं, जिसमें पक्की ईंटों से बना 4,000 साल पुराना पुल भी शामिल है, जो आज तक दुनिया में खोजा गया सबसे पुराना पुल है. क्यूनिफॉर्म टैबलेट एक प्रकार की लिपी है, जो ईरान में 7 ईसा पूर्व से लेकर 1 हजार ईस्वी तक प्रचलन में रहा.

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गिरसू की खुदाई पहली बार 1877 में फ्रांसीसी पुरातत्वविदों की एक टीम द्वारा की गई थी, लेकिन कुछ भी नहीं मिला था. ऐसा इसलिए, क्योंकि उस दौरान उत्खनन और संरक्षण की आधुनिक तकनीकों का आविष्कार नहीं हुआ था. बताया जाता है कि तब फ्रांसीसी भी प्रोटोकॉल का पालन करने के लिए बहुत ज्यादा उत्सुक नहीं थे. इसलिए उन्होंने वास्तुशिल्प अवशेषों के संरक्षण पर बहुत कम ध्यान दिया. इसके बाद यहां पर कई लोगों ने खजाना तलाशने की कोशिश की और बड़ी मात्रा में गोलियां (टैबलेट) और अन्य अनमोल कलाकृतियां लूटकर संग्राहकों को बेच दिया. गिरसु से 35,000 से 40,000 गोलियां (टैबलेट) लूट ली गईं और बाद में बाजार में आ गईं, जबकि फ्रांसीसी द्वारा खुदाई की गई केवल 4,000 गोलियां (टैबलेट) थीं.

1920 में मिला था पुल का अवशेष
गिरसु की खुदाई तो कई सालों से हो रही थी, लेकिन साल 1920 में पहली बार वहां मौजूद दुनिया के सबसे पुराने पुल को खोजा गया. हालांकि, उस समय इसकी अलग-अलग तरह से व्याख्या की गई, जिसमें लोग इसे मंदिर, बांध और जल नियामक स्थल बताते रहे. लेकिन 2016-2017 में इस संरचना की पहचान एक प्राचीन जलमार्ग पर बने पुल के रूप में की गई थी. इस खोज के बावजूद इसके संरक्षण का कोई प्रयास नहीं किया गया और ना ही कोई योजना बनाई गई. गिरसु का आधुनिक अरबी नाम टेलो है, और इस साइट का उपयोग वर्तमान में यूनाइटेड किंगडम गवर्नमेंट से मिले पैसों से ब्रिटिश संग्रहालय द्वारा अलग-अलग चीजों के लिए किया जा रहा है.

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