पलामू: भारत एक कृषि प्रधान देश है. जहां के किसान खेती कर सरकारी नौकरी तक को फेल कर देते है. जो किसान खेती की उन्नत तकनीक को जानते हैं, वो साल में अच्छा मुनाफा कमा लेते है. एसी हीं कहानी है झारखंड के पलामू जिले के निवासी एक किसान की. जो साल भर में अपने बागवानी से 10 लाख तक मुनाफा कमा लेते है.
जब भी खेती की बात आती है तो पलामू के किसानों के चेहरे पर मायूसी छा जाती है. झारखंड का पलामू एक ऐसा जिला है जो की रेन शैडो जोन में आता है. जहां हर वर्ष कम वर्षा होती है. जिस कारण किसानों को हर साल सुखा की मार झेलनी पड़ती है. मगर कुछ किसान जैसे है जो दिमाग का इस्तेमाल कर मालामाल हो रहे है. पलामू जिले के चैनपुर प्रखंड के चेड़ाबार निवासी तारकेश्वर सिंह चेरो आदिवासी समुदाय से आते है. जो की आम की बागवानी कर साल में अच्छा मुनाफा कमाते हैं.
400 पेड़ से 10 लाख रुपए
तारकेश्वर सिंह चेरो ने लोकल 18 को बताया की उनके 6.5 एकड़ के बगान में 400 से अधिक आम के पेड़ है. जिससे सालाना वो लगभग 10 लाख रुपए तक कमा लेते है. इस वर्ष पलामू जिले भर में आम में फलन नहीं हुई है. बावजूद उनके बगान से 30 से 40 क्विंटल तक आम निकले है. जिससे वो 4 लाख रुपए तक आमदनी कर चुके है.
ऐसे हुई शुरुआत
उन्होंने बताया की इसकी शुरुआत वो 1.5 एकड़ के टांड़ वाले खेत से किए थे. बाजार में अच्छी क्वालिटी के आम नहीं मिल रहे थे. तो उन्होंने सोचा की क्यों ना पलामू में अच्छी क्वालिटी के आम का उत्पादन किया जाए. जिसके बाद क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र चियांकी के कृषि वैज्ञानिक से संपर्क कर आम के 150 पेड़ लगाए. जिसे पूरी तरह ऑर्गेनिक तरीके से खेती किए. एक साल में इससे उन्हें 1.5 लाख रुपए तक मुनाफा हुआ. जिसके बाद इसे बढ़ाकर 400 पेड़ तक कर दिए.
चंदन आम बागवान दिल्ली तक फेमस
आगे बताया की लोग कहते हैं कि पटना के आम पलामू आते हैं. मगर ये भी सच है की पलामू से आम बोकारो, पटना और दिल्ली तक जाते है. इस बगान का नाम चंदन आम बागवानी है. इसके पीछे कारण बताया की उनके पूर्वज का नाम चंदन सिंह चेरो था. जिसके नाम पर बगान का नाम चंदन आम बगान रखा गया. उन्होंने बताया की इस बगान को वो रोजाना 8 से 10 घंटा समय देकर बच्चा की तरह सेवा करते है. क्योंकि आदिवासी समाज जंगल, पहाड़, पर्वत की पूजा करता है. तो हमारी संस्कृति को आगे बढ़ाना हमारा कर्तव्य है.
इन प्रभेद के आम है मौजूद
उन्होंने कहा की उनके बगान में 8 प्रकार के आम के वेराइटी है. जिसमें दूधिया लंगड़ा, बंबइया लंगड़ा, आम्रपाली, मल्लिका, राजेंद्र समेत 8 प्रकार के आम मौजूद है. करीब 6.5 एकड़ में फैले इस बगान में 400 से अधिक पेड़ है. इसके अलावा कटहल 50 पेड़, संतरा 10 पेड़, मौसमी 15 पेड़, अमरूद 8 पेड़, सागवान 1500 पेड़ और सीसम के 800 पेड़ लगे हुए है.
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FIRST PUBLISHED : June 26, 2024, 12:59 IST