शिमला: बुरांस का फूल लोगों की आजीविका का साधन बनता जा रहा है. लोग बुरांस से जूस और स्क्वैश बना कर अपनी आजीविका चला रहे है. कई ऐसे स्वयं सहायता समूह है, जो बुरांस के फूल से अपनी आजीविका चला रहे है. सभी मौसम में बुरांस के स्क्वैश और जूस की मांग रहती है, लेकिन गर्मियों में यह मांग बहुत अधिक रहती है. यहां तक की एचपीएमसी द्वारा भी स्वयं सहायता समूहों से कई हजार लीटर जूस और स्क्वैश खरीदा जाता है. बुरांस कई औषधीय गुणों से भी संपन्न है, जिसे कई प्रकार की बीमारियों को ठीक करने के लिए कारगर माना जाता है. कैंसर जैसी बीमारी के उपचार के लिए भी इसे असरदार माना गया है. यह फूल ऊंचाई वाले क्षेत्रों में प्राकृतिक रूप से उगता है और इसकी खेती संभव नहीं है.
एक लीटर स्क्वैश की कीमत 300 रुपए से अधिक
टूटू ब्लॉक के स्वयं सहायता समूह की महिलाओं का कहना है कि बुरांस के फूल से बनने वाले पेय पदार्थ लोगों की आजीविका का बड़ा स्रोत बनते जा रहे है. इससे बनने वाले स्क्वैश की एक लीटर की बोतल की कीमत 300 रुपए से अधिक है. लोग जंगलों से बुरांस के फूलों को एकत्रित करते है और एक प्रोसेस को पूरा करने के बाद, इससे जूस और स्क्वैश बनाया जाता है. इसमें सीमित मात्रा में शहद का इस्तमाल भी किया जाता है. एचपीएमसी द्वारा 2024 में विभिन्न स्वयं सहायता समूहों से 20 हजार लीटर बुरांस का जूस और स्क्वैश खरीदा गया था. एचपीएमसी अपने पेय पदार्थों के लिए देश भर में मशहूर है.
पौधे से फूल निकलने ने लगते है 40 वर्ष
बुरांस लोगों की आजीविका का साधन बनता जा रहा है. लेकिन, इसकी खेती करना संभव नहीं है. इसके खेती न होने के कई कारण है. बुरांस का पौधा बहुत धीमी गति से बढ़ता है. वहीं, पौधे से फूल निकलने में 40 वर्षों का समय भी लग सकता है. ऐसे में आज हम जिन बुरांस के फूलों को देखते है, वो पेड़ लगभग 40 से 50 वर्ष पुराने है. इसके अलावा इसे उगने के लिए विशेष वातावरण की भी आवश्कता होती है. इसे बीज के माध्यम से उगाना बहुत मुश्किल है और यह पौधा एक वर्ष में केवल 5 सेंटीमीटर बढ़ता है.
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FIRST PUBLISHED : June 28, 2024, 10:41 IST