22 साल तक मानसिक रूप से परेशान रहने के बाद राधा रानी को पिंगलवाड़ा सोसाइटी संगरूर की नेक पहल की बदौलत मिला अपना परिवार
उत्तर प्रदेश के मिर्ज़ापुर जिले की रहने वाली राधा रानी 22 साल पहले मानसिक विकार के कारण अपने घर से लापता हो गई थी।
सेवानिवृत्त पुलिस इंस्पेक्टर जगराज सिंह ने लगातार उसकी काउंसिलिंग की और उसके गांव का पता लगाया
पता चलने पर परिवार की खुशी का ठिकाना नहीं रहा
वर्षों से लापता मानसिक रूप से परेशान एक महिला को 1200 km दूर उत्तर प्रदेश स्थित उसके पारिवारिक घर भेज दिया गया।
करीब आठ साल पहले भवानीगढ़ पुलिस ने सड़क पर चलती एक महिला को पकड़कर कानूनी प्रक्रिया के तहत संगरूर के पिंगलवाड़ा
आश्रम में भर्ती कराया था। जिसका उपचार व रखरखाव पिंगलवाड़ा सोसायटी संगरूर द्वारा किया गया है।
इलाज के दौरान जब वह होश में आई तो रीता पुलिस इंस्पेक्टर जगराज सिंह संगरूर ने उससे संपर्क किया तो पता चला कि उसका
असली नाम राधा रानी सुरोरी जुनलाल, गांव मजलीपट्टी (ढाबिया), जिला मीरजापुर, उत्तर प्रदेश राज्य है।
उन्होंने उत्तर प्रदेश राज्य के क्षेत्र में लावारिस मंदबुद्धि महिला की फोटो पर एक वीडीओ भेजा था ताकि पहचान की जा सके।
इस तरह फोन पर मंदबुद्धि मधु उर्फ राधा रानी के परिवार वालों से बातचीत की व्यवस्था की गई जिन्होंने सभी सांत्वना के लिए फोन के
माध्यम से सबूत भेजे थे।इधरो जुगराज सिंह द्वारा भेजे गए फोन कॉल के आधार पर मंदबुद्धि चाचा शेषनाथ यादव पुत्र मिश्री लाल,
छब्बी नाथ उत्तर प्रदेश से लगभग बारह सौ किलोमीटर की दूरी पर राम आसरे नामक लड़के को उसके घर से लेने के लिए संगरूर पहुंचे।
प्रदेश. मंदबुद्धि के परिजन ने बताया कि मधु मानसिक रूप से अस्वस्थ होने के कारण करीब दो साल से लापता थी.
हमने बहुत खोजा लेकिन पता नहीं चला कि किसका घर है, कैलाश एक सरकारी शिक्षक हैं और उनका बेटा राहुल पी डबल जू में जेई की
पढ़ाई कर रहा है।मानसिक विकार के कारण घर छोड़कर चले जाने के कारण हम सभी रिश्तेदारों को लगा कि वह कहीं मर गयी होगी।
हम इसके जीवित रहने की खबर सुनकर बहुत खुश हैं।' पंजाबियों द्वारा मानवता की सेवा करने की अनोखी घटना हम सभी ने देखी है।
आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।जिनको पिंगलवाड़ा संस्थान के संरक्षक श्री चीमनजी (उम्र 101 वर्ष) श्री हरजीत सिंह अरोरा प्रबंधक, मास्टर
सतपाल एलवाल, यह.जुगराज सिंह, प्रेमी सतपाल किरण इन्सां, हरदेव कोर इन्सां और अन्य स्टाफ सदस्यों को घर जाने के लिए
संगरूर बस स्टैंड ले जाया गया और टिकट, दवाइयां और दो महीने की दवा पर छूट भी दी गई जूते भी मुफ़्त दिए गए ।