मुंबई. फिल्म इंडस्ट्री में आना और आकर बने रहना सबके बस की बात नहीं है. कुछ आए भी लेकिन उनका नसीब बनने में बरसों-दशकों लग गए. ऐसे एक्टर्स ने कभी हिम्मत नहीं हारी. पंकज त्रिपाठी, नवाजुद्दीन सिद्दीकी, सुनीता रजवार, दुर्गेश कुमार ऐसे कई चेहरे हैं, जिन्होंने लंबे काम और संघर्ष के बाद अपनी पहना एक प्रतिभाशाली एक्टर के तौर पर बनाई है. इन चेहरों को आप पहचानते हैं, इसलिए शुरुआत में ही इनके नाम बताए, लेकिन यहां हम आपको ऐसे एक्टर के बारे में बता रहे हैं, जिसने फिल्म इंडस्ट्री में लंबा संघर्ष किया फिर जाकर एक मुकाम हासिल किया.
इस एक्टर ने नेगेटिव और सपोर्टिंग रोल निभाए. एक्टर का नाम भारतीय सिनेमा के इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों से लिखा जा चुका है. इस एक्टर ने साल 1954 में, जी हां, भारतीय सिनेमा जब फल-फूल रहा था, तब कदम रखने की कोशिश की, लेकिन प्रोड्यूसर ने इसे रिजेक्ट कर दिया. लेकिन एक्टर ने हार नहीं मानी. इस एक्टर का नाम अमरीश पुरी है.
अमरीश पुरी का फिल्मी करियर 60 दशक रहा.
प्रोड्यूसर के रिजेक्ट करने के बाद अमरीश पुरी ने फिल्म एक्टर बनने की ख्वाहिश में थिएटर ज्वॉइन किया और 16 बरस थिएटर करते रहे. इस बीच वह जिंगल के लिए वॉइस ओवर आर्टिस्ट का भी काम करते रहे. साल 1970 में आई फिल्म ‘प्रेम पुजारी’ उनके हाथ लगी. इस फिल्म में बहुत छोटा सा रोल मिला. यह रोल भी एक्टर को कामयाबी नहीं दिला सका.
अमरीश पुरी की 20 साल बाद 1975 में चमकी किस्मत
इसके बाद अमरीश पुरी को छोटे-मोटे रोल मिलते रहे. लेकिन साल 1975 में भी पांच साल बाद यानी 1975 में आई ‘निशांत’ ने उनका करियर चमका दिया. इसमें वह अन्ना नाम के बड़े जमींदार बने थे. इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. उन्होंने बाद में मंथन, भूमिका, हम पांच जैसी कई फिल्मों में काम किया. यहां से उनकी इमेजी भी विलेन और नेगेटिव रोल बनी.
अमरीश पुरी के दमदार रोल
अमरीश पुरी का फिल्मी करियर लगभग 60 दशक का रहा. इस दौरान उन्होंने एक से बढ़कर एक और यादगार रोल निभाए. उनके मिस्टर इंडिया का मौंगेबो हो या गदरः एक प्रेम कथा अशरफ अली, अमरीश ने हर बार पहले से ज्यादा अच्छी और दमदार परफॉर्मेंस दी.
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FIRST PUBLISHED : June 25, 2024, 14:57 IST