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14वीं शताब्दी में ईरान से आया कश्मीर, अब नैनीताल की शान बढ़ा रहा ये पेड़; औषधीय गुणों से भी भरपूर 

तनुज पाण्डे /नैनीताल: उत्तराखंड की सरोवर नगरी नैनीताल अपनी खूबसूरत वादियों के लिए जानी जाती है. यहां कई ऐसी चीजें मौजूद हैं, जो नैनीताल की खूबसूरती में चार चांद लगा देते हैं. ऐसा ही एक पेड़ खूबसूरत नैनी झील के किनारे नैनीताल का शान बढ़ाता है. कश्मीर का राज्य वृक्ष चिनार नैनीताल में आपको देखने को मिल जाएगा. बेहद सुंदर ये पेड़ नैनीताल की खूबसूरती को और भी ज्यादा बढ़ा देता है. साथ ही यह पेड़ कई औषधीय गुणों से भरपूर है. इसके पत्तों को पीसकर काढ़ा बनाकर पीने से यह डायरिया रोग में लाभप्रद होता है.

उत्तराखंड के नैनीताल स्थित डी एस बी कॉलेज के वनस्पति विज्ञान विभाग के प्रोफेसर डॉ. ललित तिवारी ने लोकल 18 से खास बातचीत के दौरान बताया कि नैनीताल जितना प्रसिद्ध है अपनी खूबसूरत नैनी झील के लिए है, उतना ही प्रसिद्ध माल रोड में लगे चिनार के खूबसूरत पेड़ों के लिए भी है. ये चिनार के पेड़ नैनीताल की शान है.

700 सालों तक जीवित रहता है चिनार पेड़
प्रोफेसर तिवारी बताते हैं कि चिनार 30 मीटर की ऊंचाई तक बढ़ने वाला पर्णपाती वृक्ष है. इसकी ऊंचाई तेजी से बढ़ती है. चिनार भूमध्य सागर से लेकर मध्य पूर्व से दक्षिण पूर्व साइबेरिया तक पाया जाता है. चिनार की लकड़ी से कई तरह के आकर्षक गिफ्ट खिलौने और फर्नीचर बनाए जाते हैं. चिनार की पत्तियों में कई तरह के औषधीय गुण भी पाए जाते हैं. इसकी पत्तियों का काढ़ा स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है, तो वहीं इसमें लगने वाले छोटे- छोटे फलों की डाई बनाई जाती है. चिनार खूबसूरती का नजारा है, जिसे प्राइड ऑफ कश्मीर के नाम से जाना जाता है. यह पेड़ 700 सालों तक जीवित रह सकता है.

नैनीताल की शान है कश्मीर का राज्य वृक्ष
प्रोफेसर तिवारी बताते हैं कि चिनार के पौधे को 14वीं शताब्दी में ईरान से कश्मीर लाया गया था. कश्मीर के बाद इस पौधे को नैनीताल और अन्य जगह लगाया गया. कश्मीर में उस दौर में करीब 700 पेड़ लगाए गए थे. इसे कश्मीर का राज्य वृक्ष के नाम से जाना जाता है. इसके अलावा ये वृक्ष तुर्की, बेल्जियम, ग्रीस, रोम, यूनाइटेड किंगडम में मिलता है. उत्तराखंड के नैनीताल की माल रोड में इस पेड़ को लगाया गया है, जो नैनीताल की खूबसूरती में चार चांद लगा देता है. साथ ही इस पेड़ की पत्तियां उम्मीद, री बर्थ और ग्रोथ की प्रतीक है. इस पेड़ का अपना धार्मिक महत्व भी है. हिन्दू देवी भवानी के संस्कृत शब्द से इस पेड़ का बोध होता है. यही वजह है की इस पेड़ को धार्मिक स्थलों के आस पास भी लगाया जाता है.

Tags: Kashmir news, Local18, Nainital Mallroad, Nainital news, Uttarakhand news

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