संजय यादव/बाराबंकी : बाराबंकी जेल प्रशासन कैदियों को हमेशा कुछ नया और अलग सिखाने की कोशिश करता रहता है. जेल में बंद बंदियों की दशा और दिशा को सुधारने के लिए समय-समय पर इन्हें तरह-तरह की ट्रेनिंग भी दी जाती है. होली के त्योहार को देखते हुए अब बंदी हर्बल गुलाल बनाने में जुटे हैं. होली के त्योहार पर बंदियों के बनाये हुए गुलाल को बाजार में भी बेचने की तैयारी जेल प्रशासन कर रहा है. यह हर्बल गुलाल लोगों की त्वचा के लिए बिल्कुल हानिकारक नहीं होगा.
बाराबंकी जेल में हर्बल गुलाल में गेंदा के फूल, हल्दी व चुकंदर आदि के रसों से तैयार किए जा रहे हैं. ये हर्बल गुलाल लोगों की त्वचा के लिए बिल्कुल हानिकारक नहीं होगा. जिला जेल के करीब दो दर्जन कैदियों द्वारा एक दिन में करीब 20 किलो तक हर्बल गुलाल तैयार कर किया जाता है . इस गुलाल को बंदी अपने परिजनों को भी दे सकते हैं. जिससे कि पर्यावरण संरक्षण में कैदियों का भी योगदान हो . कैदियों द्वारा तैयार किए जा रहे हर्बल गुलाल का उद्देश्य पर्यावरण संरक्षण का संदेश देना है और केमिकल युक्त गुलाल के प्रयोग को कम करना है.
जेल में शुरू हुई नई पहल
जेल अधीक्षक कुंदन सिंह ने बताया इस वर्ष हमने होली पर एक नई पहल शुरू की है. जिला कारागार में जहां महिला बंदियों के साथ पुरुष बंदी भी हर्बल गुलाल बनाएंगे. यह गुलाल कारागार पर उत्पादित सामग्री जैसे चुकंदर, हल्दी, पालक के रस के साथ बाकी हर्बल चीजों को मिलाकर बनाया जाएगा. इस गुलाल में किसी तरह के रसायन इस्तेमाल नहीं होगा।
कैदियों को बनाया जाएगा आत्मनिर्भर
कैदियों ने बताया कि जेल में अरारोट में सब्जियों को मिलाकर हर्बल गुलाल बनाया जा रहा है. हर्बल गुलाल बनाने के लिए अरारोट में पालक को पीसकर उसमें से हरा रंग निकाल कर इसे तैयार किया जा रहा है. इसी तरह मेथी को पीसकर हल्का हरा रंग, चुकंदर को पीसकर लाल रंग, हल्दी पाउडर का प्रयोग कर पीला गुलाल तैयार किया जा रहा है. इसमें खुशबू बनी रहे इसके लिए इत्र मिलाया जा रहा है. इस गुलाल को बाजार में बेचा जाएगा. इससे कारागार में बंद कैदियों को आत्मनिर्भर बनाया जाएगा. जिससे वह जब भी जेल से रिहा हों, तो समाज के बीच रहकर अच्छा व्यवहार कर सकें. साथ ही अपने और अपने परिवार का पालन-पोषण अच्छे से कर सकें
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FIRST PUBLISHED : March 5, 2024, 22:10 IST