ओम प्रकाश निरंजन/कोडरमा: देश की राजधानी दिल्ली से अलग-अलग राज्यों का भ्रमण करते हुए करीब 2,000 किलोमीटर पैदल यात्रा तय कर गणाचार्य श्री विराग सागर जी महामुनि महाराज के शिष्य भारत गौरव राष्ट्र संत आचार्य श्री विहर्ष सागर जी मुनिराज, योगी धर्मवीर मुनिश्री विजयेश सागर जी, मुनि श्री विश्वहर्ष सागर जी कोडरमा पहुंचे. कोडरमा में अगले कुछ दिनों तक धार्मिक कार्यक्रम के बाद गिरिडीह जिले के पारसनाथ में स्थित जैन धर्म के सर्वोच्च तीर्थ सम्मेद शिखर जी के दर्शन के लिए पैदल निकल जाएंगे. 7 जुलाई को पारसनाथ में मुनि महाराज का मंगल प्रवेश होगा.
युवा पीढ़ी में आधुनिक शिक्षा के साथ धर्म और संस्कार का ज्ञान होना आवश्यक
कोडरमा के जैन भवन में लोकल 18 से विशेष बातचीत में श्री विहर्ष सागर जी मुनिराज ने बताया कि पारसनाथ स्थित सम्मेद शिखर जी शाश्वत तीर्थ है. जैन धर्म के साथ दूसरे धर्म के लोग भी नियमित तौर पर सम्मेद शिखर जी की परिक्रमा करने पहुंचते हैं. उन्होंने कहा कि आज की युवा पीढ़ी में आधुनिक शिक्षा के साथ धर्म और संस्कार का ज्ञान होना आवश्यक है.
समाज में स्वार्थी भावना की जकड़ में आ रहे हैं लोग
उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों के दौरान समाज में स्वार्थी भावना का तेजी से प्रभाव देखने को मिल रहा है. लोग अब सिर्फ अपने बारे में सोच रहे हैं. पहले लोग पूरे परिवार के बारे में सोचते थे. जिससे घर-समाज में लड़ाई झगड़े नहीं होते थे. सभी हंसी-खुशी एक साथ रहते थे.
उन्होंने बताया कि वर्तमान समय में समाज में स्वार्थी भावना ने अपनी जड़ इतनी मजबूत कर ली है कि जन्म से लेकर युवावस्था तक बच्चे की हर जरूरत का ख्याल रखने वाले माता-पिता को उनके ही बच्चे वृद्धा आश्रम भेज दे रहे हैं. पहले बच्चों को किताबी शिक्षा के साथ मानवता और संस्कारों की भी शिक्षा दी जाती थी. आज के समय में लोग सिर्फ नौकरी के लिए पढ़ाई कर रहे हैं. आज की तारीख में उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद भी आज की युवा पीढ़ी संस्कारों से काफी दूर होती जा रही है.
त्याग, तपस्या और साधना से शारीरिक कष्ट को करेंगे दूर
उन्होंने एक सवाल के जवाब में बताया कि कुछ महीने पहले शरीर में कुछ तकलीफ होने पर चिकित्सकों ने उनके हार्ट में 90% ब्लॉकेज बताया है. उन्होंने बताया कि इस भीषण गर्मी में भी सर्वोच्च तीर्थ स्थल सम्मेद शिखरजी की परिक्रमा करने का संकल्प लिया है. उन्होंने बताया कि ईश्वर की शक्ति पर विश्वास रखते हुए सम्मेद शिखर जी पर साधना, त्याग और तपस्या के जरिए अपने शारीरिक कष्ट को दूर कर दिवाली के बाद पूरी तरह से स्वस्थ होकर वापस लौटेंगे.
FIRST PUBLISHED : June 24, 2024, 21:04 IST