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हरियाणा राज्यसभा उपचुनाव के लिए डॉ. बनवारी लाल ने किया दावेदारी का ऐलान

हरियाणा राज्यसभा उपचुनाव के लिए डॉ. बनवारी लाल ने किया दावेदारी का ऐलान

हरियाणा में कृष्णलाल पंवार के इसराना से विधायक बनने के बाद खाली हुई राज्यसभा की एक सीट के उपचुनाव के लिए आज नोटिफिकेशन जारी होने जा रहा है। इस सीट के लिए बीजेपी में कई नेता अपना दावा ठोक चुके हैं। इन सबके बीच अब एक और नया दावेदार सामने आया है – पूर्व कैबिनेट मंत्री और पार्टी के प्रमुख दलित नेता डॉ. बनवारी लाल।

डॉ. बनवारी लाल ने राज्यसभा सीट के लिए अपनी दावेदारी पेश की है, खासकर तब जब उन्हें हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में अपनी वाबल सीट से टिकट नहीं दिया गया था। पार्टी उन्हें राज्यसभा से टिकट देकर एडजस्ट करने की योजना बना सकती है। यह सीट SC कोटे से खाली हुई है, और पार्टी के भीतर कई जातीय और सामाजिक समूह इस पर अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं, जिनमें बिश्नोई, जाट, ब्राह्मण और अन्य दलित नेता शामिल हैं।

कई पार्टी नेताओं का मानना है कि चूंकि कृष्णलाल पंवार SC कोटे से राज्यसभा में गए थे, इसलिए इस बार भी SC कोटे से ही कोई नेता राज्यसभा भेजा जाएगा। हालांकि, बीजेपी चुनाव आयोग की ओर से चुनाव घोषणा की तारीख का इंतजार कर रही है।

हरियाणा राज्यसभा उपचुनाव का शेड्यूल जारी: 20 दिसंबर को वोटिंग

हरियाणा में राज्यसभा उपचुनाव के लिए चुनाव आयोग ने शेड्यूल जारी कर दिया है। वोटिंग 20 दिसंबर को होगी और उसी दिन शाम को रिजल्ट भी घोषित किया जाएगा। नामांकन प्रक्रिया 3 दिसंबर से शुरू हो चुकी है, और 10 दिसंबर तक उम्मीदवार अपना नामांकन दाखिल कर सकेंगे।

वोटिंग तब ही होगी, जब कम से कम एक और नामांकन प्राप्त होगा। बीजेपी के संख्या बल के मद्देनजर उनकी जीत निश्चित मानी जा रही है। वहीं, कांग्रेस पार्टी के इस चुनाव से भी पिछले राज्यसभा उपचुनाव की तरह किनारा करने की संभावना जताई जा रही है।

हरियाणा राज्यसभा उपचुनाव के लिए दावेदारों की दौड़ में प्रमुख चेहरे

हरियाणा राज्यसभा उपचुनाव के लिए कई बड़े नेता अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं, जिनमें प्रमुख नाम डॉ. बनवारी लाल, कुलदीप बिश्नोई, सुनीता दुग्गल, मोहन लाल बड़ौली, और संजय भाटिया के हैं। इन दावेदारों के बीच डॉ. बनवारी लाल को तीन मुख्य कारणों से मजबूत दावेदार माना जा रहा है:

  1. विधानसभा चुनाव में टिकट कटने के बाद उपचुनाव में दावेदारी: डॉ. बनवारी लाल को हाल ही में विधानसभा चुनाव में टिकट नहीं दिया गया था, जिससे राज्यसभा उपचुनाव के लिए उनकी दावेदारी मजबूत हो गई है।
  2. पार्टी के प्रमुख दलित चेहरे के रूप में पहचान: वह भाजपा के बड़े दलित नेता हैं, जो इस सीट के लिए महत्वपूर्ण हो सकते हैं, खासकर जब यह सीट SC कोटे से खाली हुई है।
  3. केंद्रीय नेताओं के करीबी रिश्ते: वह पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्‌टर और केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह के करीबी सहयोगी माने जाते हैं, जो उनकी पैरवी कर रहे हैं।

कुलदीप बिश्नोई
कुलदीप बिश्नोई, जो पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी भजनलाल के बेटे हैं, भाजपा में शामिल हो चुके हैं और हरियाणा-राजस्थान में बिश्नोई वोटरों में अपनी मजबूत पकड़ रखते हैं। उनके पक्ष में पार्टी के भीतर विचार हो रहा है, खासकर उनके राज्य में और राजस्थान में प्रभाव के चलते।

सुनीता दुग्गल
सुनीता दुग्गल भी पार्टी की प्रमुख दलित नेता हैं। हालांकि 2024 के लोकसभा चुनाव में उनका टिकट काट दिया गया था, फिर भी वह दलित समुदाय में अपनी मजबूत पकड़ रखती हैं और राज्यसभा सीट के लिए एक प्रबल दावेदार मानी जा रही हैं।

मोहन लाल बड़ौली
मोहन लाल बड़ौली, जो भाजपा के प्रमुख ब्राह्मण नेता हैं, उन्होंने हमेशा पार्टी के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने लोकसभा और विधानसभा चुनावों में पार्टी को जीत दिलवाने में योगदान दिया है। हालांकि उन्होंने विधानसभा चुनावों में अपनी उम्मीदवारी से इंकार किया, लेकिन पार्टी के लिए संगठनात्मक काम करना जारी रखा है, जिससे वह राज्यसभा सीट के लिए एक संभावित उम्मीदवार बन सकते हैं।

संजय भाटिया
पंजाबी समुदाय से आने वाले संजय भाटिया, जो पहले करनाल लोकसभा सीट से सांसद रहे हैं, ने पार्टी के लिए संगठनात्मक काम किया है, बावजूद इसके कि उन्हें हालिया चुनावों में टिकट नहीं दिया गया था। वह पार्टी में अपनी सक्रियता बनाए रखते हुए राज्यसभा सीट के लिए एक उपयुक्त दावेदार हो सकते हैं।

इन सभी दावेदारों के बीच चुनाव आयोग की तरफ से नामांकन प्रक्रिया की शुरुआत और भाजपा के भीतर विचार-विमर्श चल रहा है कि कौन सा चेहरा इस महत्वपूर्ण सीट के लिए सबसे उपयुक्त होगा।

सुदेश कटारिया: दलितों के बीच भाजपा के महत्वपूर्ण चेहरे

हरियाणा में राज्यसभा उपचुनाव के लिए सुदेश कटारिया भी प्रमुख दावेदारों में शामिल हैं। उन्होंने विधानसभा चुनाव के दौरान दलित वोटरों को एकजुट करने में अहम भूमिका निभाई थी। पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्‌टर ने उनकी दलित चेहरे के रूप में पहचान को देखते हुए उन्हें फील्ड में उतारा था। इसके बाद कटारिया ने राज्य के सभी 22 जिलों में दलित महासम्मेलन आयोजित किए, जिससे चुनाव परिणामों में अच्छे नतीजे देखने को मिले। इस सफलता के बाद अब यह पूरी संभावना है कि भाजपा कटारिया को राज्यसभा सीट के लिए दलित चेहरे के रूप में मैदान में उतार सकती है।

जाट चेहरे की दावेदारी

इसके अलावा, भाजपा में दो बड़े जाट नेताओं की भी दावेदारी सामने आई है। इनमें ओपी धनखड़, जो भाजपा के राष्ट्रीय सचिव हैं, और पूर्व मंत्री कैप्टन अभिमन्यु का नाम शामिल है। हालांकि, इन दोनों ने विधानसभा चुनाव लड़ा था, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा।

इनकी दावेदारी में सबसे बड़ा पेच यह है कि इस साल भाजपा ने एक और राज्यसभा सीट से सुभाष बराला को उम्मीदवार बना लिया है, जो जाट समुदाय से आते हैं। इस वजह से ओपी धनखड़ और कैप्टन अभिमन्यु की दावेदारी कमजोर मानी जा रही है, क्योंकि पार्टी ने पहले ही जाट समुदाय से एक चेहरा चुन लिया है।

अब भाजपा के सामने यह सवाल है कि राज्यसभा उपचुनाव के लिए कौन सा चेहरा सबसे उपयुक्त होगा, और कौन पार्टी के लिए ज्यादा प्रभावी साबित हो सकता है।

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