सुप्रीम कोर्ट ने बलवंत सिंह राजोआना की दया याचिका राष्ट्रपति के समक्ष रखने की मांग की, 5 दिसंबर को फैसला
पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या में दोषी ठहराए गए बलवंत सिंह राजोआना द्वारा दायर की गई दया याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला लिया है। कोर्ट ने भारत के राष्ट्रपति के सचिव को आदेश दिया है कि वे राजोआना की दया याचिका का मामला राष्ट्रपति के समक्ष रखें, और राष्ट्रपति से इस पर विचार करने का अनुरोध किया है। कोर्ट ने कहा है कि इस मामले पर राष्ट्रपति को दो सप्ताह के भीतर फैसला लेना चाहिए, जिसका मतलब है कि अब इस मुद्दे पर 5 दिसंबर तक कोई निर्णायक फैसला आ सकता है।
इससे पहले, दो सप्ताह पहले हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वे इस मामले की सुनवाई पूरी होने के बाद ही राहत पर विचार करेंगे। राजोआना को 1995 में पंजाब के मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या के लिए फांसी की सजा सुनाई गई थी।
राजोआना की दया याचिका में क्या था?
राजोआना ने अपनी याचिका में दलील दी थी कि भारत सरकार ने उनकी दया याचिका पर पर्याप्त समय के बाद भी फैसला नहीं लिया है। राजोआना के वकील मुकुल रोहतगी ने अदालत में यह तर्क रखा कि राजोआना 29 साल से जेल में बंद है और इस अवधि में उसे न्यायिक प्रक्रिया का सामना करना पड़ा है। उनका कहना था कि इतनी लंबी अवधि के बाद फैसले में देरी न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ है।
सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई में क्या हुआ?
18 नवंबर को हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला लिया कि अब इस मामले को राष्ट्रपति के पास भेजा जाए। मुकुल रोहतगी ने कहा कि यह मामला लंबे समय से लंबित है और दया याचिका पर फैसला न होने से राजोआना को मानसिक तनाव हो सकता है। राजोआना की याचिका में मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदलने की मांग की गई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में पंजाब राज्य से दो सप्ताह में जवाब दाखिल करने को कहा है, क्योंकि पिछले नोटिस के जवाब में पंजाब के वकील छुट्टियों के कारण कोई रिपोर्ट दाखिल नहीं कर पाए थे। न्यायमूर्ति बीआर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने स्पष्ट किया कि पंजाब राज्य को जवाब दाखिल करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया जाएगा।
बेअंत सिंह की हत्या और राजोआना का जुर्म
31 अगस्त 1995 को पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या के मामले में बलवंत सिंह राजोआना को फांसी की सजा सुनाई गई थी। राजोआना ने पंजाब पुलिस के मुलाजिम दिलावर सिंह के साथ मिलकर बेअंत सिंह पर हमला किया था। दिलावर सिंह ने खुद को ह्यूमन बम बना कर बेअंत सिंह को उड़ा दिया था, जबकि यदि दिलावर सिंह का हमला असफल होता, तो राजोआना को हमलावर की भूमिका निभानी थी। इस घटना के बाद, राजोआना को फांसी की सजा सुनाई गई थी, और वह 1996 से जेल में बंद हैं।
राजोआना की दया याचिका पर अगला कदम
अब, 5 दिसंबर तक इस मामले में राष्ट्रपति से निर्णय आने की संभावना है, और उसके बाद ही राजोआना की दया याचिका पर अंतिम फैसला लिया जाएगा। इस मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए, यह पूरी प्रक्रिया न केवल कानूनी दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि पंजाब के राजनीतिक और सामाजिक परिप्रेक्ष्य में भी इसका बड़ा असर हो सकता है।