फरीदाबाद: सावन का महीना भगवान शिव की भक्ति के लिए समर्पित है. इस माह में शिव जी आराधना की जाती है और साथ ही व्रत रखा जाता है. ऐसा करने से इस माह में भोलेनाथ कृपा बरसती है. कहते हैं कि इस महीने में सच्चे मन और श्रद्धा से की गई भगवान शिव की उपासना शुभ फल प्रदान करती है. सावन में सोमवार का दिन बहुत खास माना जाता है.
उसी को लेकर जब लोकल 18 से पंडित कुलदीप शर्मा ने सावन मास को लेकर बातचीत की तो उन्होंने बताया कि सावन का महीना हिंदुओं के लिए बहुत ही शुभ महीना होता है. इस साल सावन सोमवार 22जुलाई 2024 को शुरू होगा और 19 अगस्त को समाप्त होगा. हिंदू चंद्र कैलेंडर के अनुसार, सावन का शुभ महीना पांचवें महीने में आता है.
शिवलिंग पर जल चढ़ाने का है खास महत्व
इसी सावन मास में समुद्र मंथन किया गया था. समुद्र मथने के बाद जो हलाहल विष निकला, उसे भगवान शंकर ने कंठ में समाहित कर सृष्टि की रक्षा की; लेकिन विषपान से महादेव का कंठ नीलवर्ण हो गया. इसी से उनका नाम ‘नीलकंठ महादेव’ पड़ा. विष के प्रभाव को कम करने के लिए सभी देवी-देवताओं ने उन्हें जल अर्पित किया. इसलिए शिवलिंग पर जल चढ़ाने का ख़ास महत्व है.
इसलिए सावन में प्रधान देवता हैं शिव
भगवान शिव स्वयं ही जल हैं, इसलिए जल से उनकी अभिषेक के रूप में अराधना का उत्तमोत्तम फल है, सावन महीने में भगवान विष्णु योगनिद्रा में चले जाते हैं. इसलिए ये समय भक्तों, साधु-संतों सभी के लिए अमूल्य होता है. यह चार महीनों में होने वाला एक वैदिक यज्ञ है, जो एक प्रकार का पौराणिक व्रत है, जिसे ‘चौमासा’ भी कहा जाता है; तत्पश्चात सृष्टि के संचालन का उत्तरदायित्व भगवान शिव ग्रहण करते हैं. इसलिए सावन के प्रधान देवता भगवान शिव बन जाते हैं.
ये भी है मान्यता
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, माता सती ने ये प्रण लिया था कि जब भी उनका जन्म हो तो उन्हें भगवान शिव ही पति के स्वरूप में मिलें. इसके लिए उन्होंने अपने पिता राजा दक्ष के घर अपने शरीर को त्याग दिया था और हिमालय राज के घर पार्वती के रूप में जन्म लिया. कहा जाता है कि माता पार्वती ने सावन के महीने में भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठिन तपस्या की, जिसके चलते ही आगे जाकर उनका विवाह भगवान शिव के साथ हुआ. ऐसे में भगवान शिव को सावन का महीना बहुत पसंद होता है. सावन का महीना भगवान शिव की भक्ति के लिए समर्पित है.
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FIRST PUBLISHED : June 27, 2024, 13:48 IST
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