रूपांशु चौधरी/हजारीबाग. आज के समय में बीमारियों का ट्रीटमेंट करने के लिए कई प्रकार के उपचार उपलब्ध हैं, लेकिन पूर्व के समय से ही आर्युवेद की पंचकर्म विधि इलाज के लिए काफी कारगर मानी जाती है. हजारीबाग के निरोग काया पंचकर्म में अभी भी पंचकर्म की मदद से कई बीमारियों का उपचार किया जाता है.
निरोग काया पंचकर्म के डॉक्टर पवन कुमार गौरव बताते हैं कि पंचकर्म आयुर्वेद की एक पारंपरिक विधि है जिसके माध्यम से तन से लेकर मन तक को शुद्ध किया जाता है, ताकि बॉडी में उपलब्ध विषाक्त को बाहर निकाला जा सके. पंचकर्म में पांच क्रियाएं होती हैं, जिसके माध्यम से रोगों का उपचार किया जाता है. वो पांच प्रक्रिया हैं- वमन, विरेचन, नस्य, रक्तमोक्षण और अनुवासनावस्ती.
इन लोगों के लिए फायदेमंद
उन्होंने आगे बताया कि पंच कर्म के माध्यम से शारीर में मौजूद सभी प्रकार के विषाक्त पदार्थों को बाहर निकाला जाता है, ताकि पुराने से पुराना रोग ठीक किया जा सके. पंचकर्म से मुख्य रूप से पुराने से पुराने रोग जैसे गठिया, साइट्स, आर्थराइटिस, मधुमेह, तनाव, लकवा, सिरदर्द व चिंता, एड़ी में दर्द, जोड़ों में दर्द, फटी व थकी एड़ियों में फायदा, स्मृति दोष, नेत्र रोग, मानसिक तनाव आदि शारीरिक और मानसिक रोगों में इसका कुशल प्रभाव देखने को मिलता है.
10 दिन की होती है प्रक्रिया
पंचकर्म 10 दिन की प्रक्रिया है. अगर पेशेंट का रोग अधिक हो तो फिर 15 दिन, 21 दिन या 28 दिन तक इलाज चलता है. रोगी के शरीर में रक्त संचार बढ़ता है. बीमारियों से लड़ने के लिए प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है. साथ ही चेहरे पर रौनक लौट कर आती है. उन्होंने आगे कहा कि मानसिक रूप से ग्रसित लोगों के लिए पंचकर्म सबसे प्रभावी होता है. पंचकर्म से लोग भी तनाव से मुक्ति पा सकते हैं. इस चिकित्सा पद्धति का कोई भी साइड इफेक्ट नहीं है.
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FIRST PUBLISHED : March 8, 2024, 14:41 IST
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