नई दिल्ली. सनातम धर्म पर विवादित टिप्पणी के मामले में तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन के बेटे उदयनधि स्टालिन को सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने खरी खोटी सुनाई। विवादित बयान के बाद उदयनिधि स्टालिन के खिलाफ देश में जगह-जगह दर्ज की गई एफआईआर को एक साथ क्लब करने की मांग लेकर वो सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे। ‘‘सनातन धर्म को खत्म करो’’ टिप्पणी करने वाले जूनियर स्टालिन को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वो खुद की तुलना मीडियाकर्मियों से नहीं कर सकते.
तमिलनाडु के मंत्री की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी ने कहा कि यह टिप्पणी करने का मकसद ‘‘राजनीतिक युद्धघोष’’ करना नहीं था क्योंकि यह केवल 30 से 40 लोगों की सभा थी. न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने उदयनिधि स्टालिन को ‘‘कानूनी मुद्दों’’ के मद्देनजर अपनी याचिका में संशोधन करने की अनुमति दी और छह मई से शुरू होने वाले सप्ताह में सुनवाई के लिए मामले को सूचीबद्ध किया. पीठ ने कहा, ‘‘आपने स्वेच्छा से बयान दिया है. आप मीडियाकर्मियों की तुलना मंत्री से नहीं कर सकते. आपने मीडियाकर्मियों के मामलों का हवाला दिया है, जिन्हें अपने मालिकों के निर्देशों का पालन करना पड़ता है और टीआरपी और अन्य चीजों का ध्यान रखना पड़ता है.’’
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स्टालिन ने कोर्ट में क्या दी दलीलें
पीठ ने उदयनिधि स्टालिन की कई प्राथमिकियों को एक साथ जोड़ने की रिट याचिका पर सुनवाई के दौरान उक्त टिप्पणी की. इस याचिका में मंत्री ने पत्रकार अर्नब गोस्वामी, मोहम्मद जुबैर एवं अन्य का हवाला दिया था, जिन्हें पूर्व में शीर्ष अदालत ने उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकियों को एक साथ जोड़कर और एक थाने में स्थानांतरित करके राहत दी थी. स्टालिन की ओर से पेश सिंघवी ने कहा कि उन्होंने पत्रकारों और नुपुर शर्मा जैसे नेताओं सहित कई मामलों का हवाला दिया है, जहां अदालत ने विभिन्न राज्यों में दर्ज कई प्राथमिकी को स्थानांतरित करने और एक साथ जोड़ने के लिए संविधान के अनुच्छेद-32 के तहत रिट क्षेत्राधिकार का प्रयोग किया है.
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कोर्ट में नुपुर शर्मा केस का भी हुआ जिक्र
उन्होंने कहा कि पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ कथित तौर पर आपत्तिजनक टिप्पणी के लिए पार्टी द्वारा निलंबित की गईं पूर्व भाजपा प्रवक्ता नुपुर शर्मा के मामले पर लागू कानून याचिकाकर्ता पर भी समान रूप से लागू होता है क्योंकि वह भी एक ‘‘राजनीतिज्ञ’’ हैं. न्यायमूर्ति दत्ता ने कहा कि शर्मा का मामला भी मंत्री (स्टालिन) के समान नहीं है. पीठ ने मंत्री से कहा कि वह आपराधिक दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 406 के तहत शीर्ष अदालत में याचिका दायर कर सकते थे, जिसमें आपराधिक मामलों को हस्तांतरित करने का प्रावधान है, लेकिन रिट क्षेत्राधिकार से संबंधित संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत ऐसा नहीं किया जा सकता.
सनातन की तुलना कोरोना वायरस से की गई थी
न्यायमूर्ति दत्ता ने कहा, ‘‘देखिए, कुछ मामलों में संज्ञान लिया गया है और समन जारी किए गए हैं. सुप्रीम कोर्ट रिट क्षेत्राधिकार के तहत न्यायिक कार्यवाही नहीं कर सकता.’’ तमिलनाडु के युवा कल्याण एवं खेल मंत्री उदयनिधि स्टालिन एक प्रसिद्ध फिल्म अभिनेता हैं और मुख्यमंत्री एवं द्रमुक (द्रविड़ मुनेत्र कषगम) प्रमुख एम के स्टालिन के बेटे हैं. उदयनिधि स्टालिन ने सितंबर 2023 में एक सम्मेलन में कहा था कि सनातन धर्म सामाजिक न्याय एवं समानता के खिलाफ है और इसका ‘‘उन्मूलन’’ किया जाना चाहिए. उन्होंने सनातन धर्म की तुलना कोरोना वायरस, मलेरिया और डेंगू से करते हुए कहा था कि इसे नष्ट कर दिया जाना चाहिए.
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FIRST PUBLISHED : April 1, 2024, 23:49 IST