संस्कृत पढ़ने वाले विद्यार्थियों के लिए रोजगार की अपार संभावनाएं, सरकारी नौकरी भी, जानें सब

सागर. अधिकतर भारतीय विद्वान संस्कृत को सभी भाषाओं की जननी मानते हैं. हालांकि, आम जीवन में अब संस्कृत का न तो इतना प्रभाव है और न ही यह आज की पीढ़ी में उतनी लोकप्रिय. लेकिन, वर्तमान दौर में करियर बनाने के लिहाज से इस भाषा की पढ़ाई करने वाले युवाओं के लिए रोजगार के काफी अवसर हैं. संस्कृत से पढ़ाई करने वाले विद्यार्थी कर्मकांड, भागवत कथाएं, मांगलिक कार्य, ज्योतिष आदि विषयों का अध्ययन कर आय अर्जित कर सकते हैं. इसके अलावा सरकारी नौकरियों में भी काफी अवसर हैं.

धर्मगुरु, शिक्षक और प्रोफेसर बन सकते हैं
अगर संस्कृत में शास्त्री या आचार्य तक की पढ़ाई विद्यार्थी ने कर ली है तो वह आर्मी में धर्मगुरु बन सकता है. स्कूलों में वर्ग एक, दो, तीन का शिक्षक बन सकता है और अच्छा ज्ञान प्राप्त कर ले तो कॉलेज में प्रोफेसर भी बन सकता है. चिकित्सा के क्षेत्र में जाना चाहते हैं तो आयुर्वेद की तरफ बढ़ सकते हैं, जिसमें चरक संहिता, सुश्रुत संहिता, बागभट्ट जैसे विषयों का अध्ययन कर सकते हैं. इसके अलावा वास्तु ज्योतिष शास्त्र, योग, वैदिक गणित, वेद विज्ञान, इतिहास, 18 पुराण के अध्ययन से अलग-अलग क्षेत्र में जाने की अपार संभावनाएं हैं. शास्त्री की पढ़ाई करने के बाद जिस तरह से अभ्यर्थी ग्रेजुएशन करने के बाद कोई भी एसएससी, एमपीपीएससी या अन्य कंपटीशन एग्जाम दे पाते हैं, उसी तरह शास्त्री के अभ्यर्थी भी एग्जाम देने के पात्र होते हैं.

भविष्य में बहुत सी संभावनाएं
सागर के धर्मश्री में स्थित 125 साल पुराने संस्कृत स्कूल में भी छठवीं से लेकर 12वीं तक की वेद पाठों के अध्ययन के साथ संस्कृत की पढाई कराई जाती है. महाविद्यालय के प्राचार्य पंडित उमाकांत गौतम बताते हैं कि संस्कृत में संपूर्ण ज्ञान है, यह नितांत सत्य है. जो संस्कृत पढ़ना चाहते हैं उनके लिए प्राचीन संस्कृत विद्यालय सागर के साथ मध्य प्रदेश में भी अलग-अलग जगह पर खुले हुए हैं.

वास्तु के क्षेत्र में काम
संस्कृत की पढ़ाई करने वाले बच्चों के लिए भविष्य में बहुत सी संभावनाएं हैं. यदि बच्चा वास्तु शास्त्र का सम्यक अध्ययन कर लेता है तो वह भूखंडों में जो आवास स्थल बनाए जाते हैं, उन पर काम कर सकता है. यह विज्ञान की कला है और इसके लिए संस्कृत पढ़ना आवश्यक है. किस प्रकार के वृक्ष हम अपने घर के बाजू से लगाए किस तरह के वृक्ष न लगाएं, किस दिशा के लिए क्या नियम हैं. यह वास्तु ज्ञान से जाना जाता है.

Tags: Education news, Local18, Sagar news, Sanskrit language

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