संत बलबीर सिंह सीचेवाल ने शीतकालीन सत्र में हंगामे पर की कड़ी प्रतिक्रिया, किसानों के मुद्दे पर प्रधानमंत्री से की अपील
राज्यसभा सदस्य संत बलबीर सिंह सीचेवाल ने संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान हुए हंगामे पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि इस सत्र में किसी भी सार्थक मुद्दे पर चर्चा नहीं की गई और राजनीतिक दलों के नेता एक-दूसरे को नीचा दिखाने में व्यस्त रहे। उन्होंने यह भी कहा कि विपक्ष का विरोध करना संवैधानिक अधिकार है, लेकिन इसे इस हद तक नहीं बढ़ाना चाहिए कि संसद का समय खराब हो जाए, जिससे महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा न हो सके।
संत सीचेवाल ने अपनी खेती-किसानी से जुड़े मुद्दों को शून्यकाल के दौरान उठाने की कोशिश की थी, लेकिन हंगामे के कारण उन्हें केवल एक बार बोलने का मौका मिला, जब उन्होंने देश में कैंसर के बढ़ते मामलों को रोकने के लिए फ्री इलाज की अपील की थी। इसके अलावा बेरोजगारी, भुखमरी, पर्यावरण, और शिक्षा जैसे अहम मुद्दे भी इस सत्र में चर्चा से बाहर रह गए।
उन्होंने संसद में चल रहे हंगामों की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि राज्यसभा का 60 प्रतिशत और लोकसभा का 42 प्रतिशत समय हंगामे की भेंट चढ़ गया, जिससे करोड़ों रुपये की बर्बादी हुई, जो जनता के टैक्स से आता है। उन्होंने इस बर्बादी की जवाबदेही तय करने की आवश्यकता जताई, क्योंकि संसद के सदस्य जनता के प्रति जवाबदेह होते हैं।
इसके अलावा, संत बलबीर सिंह सीचेवाल ने प्रधानमंत्री को एक पत्र लिखकर किसानों की समस्याओं और उनकी मांगों के लिए तत्काल कार्रवाई की अपील की है। उन्होंने विशेष रूप से किसान नेता डल्लेवाल के आमरण अनशन पर ध्यान आकर्षित करते हुए, उनकी जान बचाने के लिए केंद्र सरकार से मांग की कि उनकी लंबित मांगों पर तुरंत अमल किया जाए। उन्होंने यह भी कहा कि किसान देश के अनाज भंडार को भरने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, लेकिन अभी भी उन्हें पर्याप्त वित्तीय सहायता नहीं मिल रही है, और उनके फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य का भुगतान भी लंबित है।