श्री अकाल तख्त साहिब पर आज होगी महत्वपूर्ण बैठक, सुखबीर बादल और 2007-2017 के मंत्रियों को सजा की संभावना

श्री अकाल तख्त साहिब पर आज होगी महत्वपूर्ण बैठक, सुखबीर बादल और 2007-2017 के मंत्रियों को सजा की संभावना

पंजाब में जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह की तरफ से आज सोमवार दोपहर एक बजे श्री अकाल तख्त साहिब पर पांच सिख साहिबानों की बैठक बुलाई गई है। इस बैठक में शिरोमणि अकाली दल (SAD) के अध्यक्ष सुखबीर बादल, 2007-2017 के दौरान अकाली दल के मंत्रियों, पूर्व जत्थेदारों, 2015 की शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की कार्यकारिणी के सदस्यों और मौजूदा अध्यक्ष एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी को बुलाया गया है।

कयास लगाए जा रहे हैं कि इस बैठक में सुखबीर बादल और अन्य अकाली दल मंत्रियों को सजा सुनाई जा सकती है। कुछ दिन पहले सुखबीर बादल ने श्री अकाल तख्त साहिब में पेश होकर यह मांग की थी कि उन्हें तनखैया घोषित हुए तीन महीने से अधिक समय बीत चुका है, और अब सजा दी जानी चाहिए। इस पर जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने एक सप्ताह पहले बैठक को बुलाने की घोषणा की थी, जिससे इस मामले में आगामी निर्णय की संभावना बढ़ गई है।

सुखबीर बादल ने लिखा- वर्करों की मांग, मुझे उपचुनाव लड़ने की मिले इजाजत

श्री अकाल तख्त साहिब पर पहुंचे सुखबीर बादल ने अपने लिखित आवेदन में कहा कि पार्टी के सभी वर्कर चाहते थे कि विशेष हालात के चलते उन्हें उपचुनाव लड़ने और प्रचार की इजाजत दी जाए। उनका मानना है कि उपचुनाव न लड़ पाने के कारण पंथ और पंजाब को बहुत नुकसान हुआ है। हालांकि, उन्होंने अकाल पुरख की रजा के अनुसार इस नुकसान को झेला है।

सुखबीर ने अपनी सजा के संबंध में आग्रह किया है कि इसे जल्द से जल्द निपटाया जाए, ताकि उन्हें पंथ विरोधी ताकतों से मुकाबला करने का मौका मिल सके।

जुलाई में सुखबीर बादल को जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने सुनाई थी सजा

सुखबीर बादल को जुलाई महीने में श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने धार्मिक सजा सुनाई थी। उन्हें तनखैया करार देते हुए सिख पंथ और पंजाब के हितों के खिलाफ कुछ फैसलों के कारण सजा दी गई।

सुखबीर बादल पर आरोप था कि अपनी सरकार के दौरान उन्होंने डेरा सच्चा सौदा के मुखी राम रहीम को माफी दी, सुमेध सैनी को पंजाब का डीजीपी नियुक्त किया, और श्री गुरू ग्रंथ साहिब की बेअदबी के मामलों में उचित कार्रवाई नहीं की।

फैसला सुनाते हुए जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने कहा था, “अकाली दल के प्रधान और डिप्टी मुख्यमंत्री रहते हुए सुखबीर बादल ने कुछ ऐसे फैसले लिए, जिससे पंथक स्वरूप को नुकसान पहुंचा और सिख पंथ को भारी नुकसान हुआ।”

बागी गुट की शिकायत के बाद शुरू हुआ था सुखबीर बादल विवाद, माफीनामे में उठाए गए गंभीर आरोप

सुखबीर बादल पर विवाद तब गहरा गया जब बागी गुट के नेताओं प्रेम सिंह चंदूमाजरा, बीबी जगीर कौर, और परमिंदर सिंह ढींढसा 1 जुलाई को श्री अकाल तख्त साहिब पहुंचे और जत्थेदार को माफीनामा सौंपा। इस माफीनामे में सुखबीर बादल से जुड़ी चार प्रमुख गलतियों के लिए माफी मांगी गई:

  1. डेरा सच्चा सौदा के खिलाफ शिकायत वापस लेना: 2007 में सच्चा सौदा के गुरुमीत राम रहीम के खिलाफ दर्ज शिकायत को अकाली सरकार ने वापस ले लिया, जिससे सिख पंथ को गहरा आघात पहुंचा।
  2. डेरा मुखी को माफी दिलवाना: सुखबीर बादल ने डेरा मुखी राम रहीम को श्री अकाल तख्त साहिब से निष्कासन के बावजूद माफी दिलवाने के लिए अपने प्रभाव का इस्तेमाल किया, जिससे सिख समुदाय में नाराजगी फैल गई।
  3. बेअदबी की घटनाओं की सही जांच नहीं करना: 2015 में हुई बेअदबी की घटनाओं की उचित जांच नहीं कर पाने और दोषियों को सजा न दिलवाने के कारण पंजाब में माहौल खराब हुआ और हिंसक घटनाएँ हुईं।
  4. झूठे मामलों में मारे गए सिखों को न्याय न दिलाना: सुखबीर बादल द्वारा सुमेध सैनी को पंजाब का DGP नियुक्त किया गया, जो फर्जी पुलिस मुठभेड़ों में सिख युवाओं की हत्याओं में शामिल थे।

इस विवाद के बाद, श्री अकाल तख्त साहिब ने 14 जुलाई को सुखबीर बादल से 15 दिन के अंदर स्पष्टीकरण मांगा था, और 24 जुलाई को उन्होंने बंद लिफाफे में इसका जवाब दिया। बाद में यह स्पष्टीकरण सार्वजनिक किया गया, जिसमें दिवंगत मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल द्वारा 2015 में लिखे गए पत्र का भी उल्लेख किया गया था, जिसमें उन्होंने बेअदबी की घटनाओं पर गहरा दुख व्यक्त किया था।

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