नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने शादी का वादा कर एक विवाहित महिला से दुष्कर्म करने के आरोपी को बुधवार को यह कहते हुए बरी कर दिया कि महिला अपने काम के अंजाम को समझने के लिए काफी परिपक्व है. जस्टिस सीटी रविकुमार और जस्टिस राजेश बिंदल की पीठ ने यह भी कहा कि आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 164 के तहत दर्ज प्राथमिकी और शिकायतकर्ता के बयान में विसंगतियां थीं.
आरोपी विनोद गुप्ता की ओर से पेश वकील अश्विनी कुमार दुबे ने कहा कि एफआईआर कुछ और नहीं बल्कि कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग है, क्योंकि दोनों के बीच शारीरिक संबंध सहमति से बने थे. शिकायतकर्ता एक विवाहित महिला है जिसकी 15 साल की बेटी है और वह अपने माता-पिता के साथ रहती है. उन्होंने कहा, अपीलकर्ता द्वारा उससे किए गए शादी के वादे का कोई सवाल ही नहीं उठता.
ये भी पढ़ें- पीएम मोदी की श्रीनगर रैली को लेकर साजिश में जुटा पाकिस्तान, कश्मीरियों को दे रहा धमकी
शीर्ष अदालत ने ऐसे में एफआईआर को रद्द करते हुए कहा, ‘महिला इतनी परिपक्व और समझदार थी कि उन नैतिक और अनैतिक कृत्यों के परिणामों को समझ सकती थी, जिनके लिए उसने अपनी पिछली शादी के दौरान सहमति दी थी. वास्तव में यह उसके पति को धोखा देने का मामला था.’
ये भी पढ़ें- सुप्रीम कोर्ट में कैसे होती है जजों की एंट्री, कैसे तय होता है ऑर्डर? CJI चंद्रचूड़ ने बताया
पुलिस में दर्ज एफआईआर के मुताबिक महिला ने बताया कि वह अपनी कपड़े की दुकान संभालती थी. विवाद के बाद वह और उसका पति अलग-अलग रहने लगे. 10 दिसंबर 2018 को महिला को अपने पति से तलाक मिल गया. वर्ष 2017 में गुप्ता ने महिला से उसके घर की पहली मंजिल किराए पर लेने के लिए संपर्क किया और दोनों के बीच धीरे-धीरे शारीरिक संबंध बन गए.
प्राथमिकी में कहा गया है कि चूंकि महिला अपने पति के साथ नहीं रह रही थी, इसलिए गुप्ता ने तलाक मिलने पर उससे शादी करने का प्रस्ताव रखा. जब महिला तलाक के बाद शादी करने की बात गुप्ता से कही तो गुप्ता ने महिला से कहा कि उसका परिवार सहमत नहीं है और आखिरकार 11 दिसंबर, 2020 को उससे शादी करने से इनकार कर दिया.
.
Tags: Rape Case, Supreme Court
FIRST PUBLISHED : March 7, 2024, 08:15 IST