महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र में अप्रैल-मई में पारा 45 डिग्री को पार कर जाता है. हालांकि, यहां चुनावी तपिश मार्च से ही बढ़ गई है. पहले और दूसरे चरण के चुनाव में जिन लोकसभा सीटों पर मतदान होना है, उनमें विदर्भ की भी सभी 10 सीटें हैं. विदर्भ में भाजपा के लिए जहां प्रतिष्ठा का चुनाव है, तो वहीं कांग्रेस के सामने खोई साख वापस पाने की चुनौती है. पिछले दो चुनावों में विदर्भ की जनता ने भाजपा और अविभाजित शिवसेना पर भरोसा किया था. पूर्वी विदर्भ में भाजपा तो पश्चिम में शिवसेना ने अपनी मजबूत पकड़ बनाई थी.
विदर्भ यानी पूर्वी महाराष्ट्र के 11 जिलों का क्षेत्र. इसके अन्तर्गत दो डिविजन आते हैं नागपुर और अमरावती. अमरावती के अन्तर्गत अमरावती , यवतमाल, बुलढाना, अकोला और वॉशिम जिले आते हैं जबकि नागपुर डिवीजन के अन्तर्गत नागपुर, वर्धा, भंडारा, चन्द्रपुर, गढ़चिरौली और गोंदिया जिले आते है. इस विदर्भ क्षेत्र में लोकसभा की 10 सीटें हैं. इनमें से पांच नागपुर, रामटेक, चंद्रपुर, गोंदिया-भंडारा और गढ़चिरौली सीटों पर पहले चरण में 19 अप्रैल को मतदान होगा. दूसरे चरण में 26 अप्रैल को अकोला, अमरावती, वर्धा, यवतमाल-वाशिम और बुलढाणा सीट पर मतदान होगा.
नागपुर विदर्भ का प्रमुख शहर है. आरएसएस का मुख्यालय नागपुर में है और ये सीट बहुत हाई प्रोफाइल है. पीएम नरेंद्र मोदी की सरकार में अपने काम के लिए सबसे चर्चित केंद्रीय मंत्री नितिन गड़करी यहां से तीसरी बार चुनाव लड़ रहे हैं. वे हैट्रिक लगाने की तैयारी में हैं, जबकि कांग्रेस ने नागपुर दक्षिण के विधायक व कांग्रेस जिलाध्यक्ष विकास ठाकरे को मैदान में उतारकर कड़े मुकाबले की लकीर खींच दी है.
नागपुर के पास की ही रामटेक सीट (SC) पर कांग्रेस ने श्यामकुमार बर्वे को टिकट दिया है. महायुति में यह सीट शिवसेना (शिंदे गुट) के पास है. कांग्रेस विधायक राजू पारवे के शिंदे गुट से चुनाव लड़ने की चर्चा है. पारवे ने हाल ही में कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता के साथ ही विधायक पद से इस्तीफा दिया है. इसी तरह भंडारा-गोंदिया और गढ़चिरौली-चिमूर सीट पर भी महाविकास आघाड़ी और महायुति के उम्मीदवारों के बीच कांटे की टक्कर की संभावना है.
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विदर्भ की मुख्य सीटें
नागपुर: सबसे पहले बात नागपुर की करते हैं. आबादी के हिसाब से नागपुर महाराष्ट्र का तीसरा सबसे बड़ा शहर है. राजनीतिक नजरिए से भी इस शहर की बड़ी अहमियत है. नागपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) का मुख्यालय है. भारतीय जनता पार्टी ने महाराष्ट्र की नागपुर लोकसभा सीट से केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को टिकट दिया है. यहां से जीत की हैट्रिक लगाने उतरे गडकरी के खिलाफ कांग्रेस ने विकास ठाकरे को मैदान में उतारा है. 2019 लोकसभा चुनावों में नितिन गडकरी ने महाराष्ट्र कांग्रेस के मौजूदा अध्यक्ष नाना पटोले को शिकस्त दी थी. उस चुनाव में गडकरी जीते थे लेकिन उनकी जीत का मार्जिन 2014 की तुलना में घट गया था. महाराष्ट्र के नागपुर से ही अपने चुनावी अभियान की शुरुआत करने वाली कांग्रेस ने इस बार नए चेहरे पर दांव खेला है. पार्टी ने महाराष्ट्र विधानसभा के मौजूदा विधायक विकास ठाकरे को गडकरी के सामने उतारकर चुनौती पेश की है.
अमरावती: अमरावती से बीजेपी ने मौजूदा सांसद नवनीत राणा को उम्मीदवार बनाया है. पर महायुति गठबंधन में नवनीत राणा को लेकर भारी विरोध सामने आया है. शिंदे शिवसेना गुट के आनंदराव अड़सुल ने कहा है कि मैं भी अब इसी सीट से चुनाव लड़ूंगा. इसके साथ ही प्रहार जनशक्ति के बच्चू कडू ने भी नवनीत राणा के नाम को लेकर विरोध जताया है. नवनीत राणा अमरावती से सांसद हैं. नवनीत राणा ने 2019 में निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर अमरावती से चुनाव लड़ा था और उन्होंने शिवसेना के आनंदराव अडसुल को हराया था.
कांग्रेस ने की थी सेंधमारी
चन्द्रपुर: चन्द्रपुर की बात करें तो महाराष्ट्र में पहले चरण के लोकसभा चुनाव में विदर्भ की 5 प्रमुख सीटों के लिए चुनाव होने हैं. प्रदेश की ‘चंद्रपुर’ लोकसभा सीट काफी चर्चित है. यहां पर बीजेपी ने शिंदे सरकार में मंत्री सुधीर मुनगंटीवार को उनके गृह जिले चंद्रपुर से उम्मीदवार बनाया है. बीजेपी ने चार बार के सांसद और पूर्व केंद्रीय गृह राज्य मंत्री हंसराज अहीर की जगह मुनगंटीवार को मैदान में उतारा है. चंद्रपुर लोकसभा सीट महाराष्ट्र के पूर्वी विदर्भ इलाके में आती है. ये क्षेत्र लंबे समय तक कांग्रेस का मजबूत गढ़ रहा है. हालांकि 2019 से पहले यहां BJP ने जीत की हैट्रिक बनाई थी, लेकिन 2019 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस ने इस सीट पर वापसी की थी. अब बीजेपी ने अपने धुरंधर नेता और राज्य सरकार में वन मंत्री सुधीर मुनगंटीवार को मैदान में उतारा है. कांग्रेस ने दिवंगत बालू धानोरकर की पत्नी प्रतिमा को मैदान में उतारा है, जिससे मुकाबला रोचक होने के आसार हैं. बालू धानोकर ने करीब 45 हजार वोटों के अंतर से यह सीट जीती थी.
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इन मुद्दों पर होती है राजनीति
विदर्भ को अलग राज्य बनाने की मांग लंबे समय से हो रही है. भाजपा विदर्भ राज्य बनाने की पक्षधर रही है. जबकि क्षेत्रीय दलों का विरोध रहा है. यहां किसानों की आत्महत्या और सिंचाई परियोजनाएं बड़े मुद्दे हैं. किसानों के लिए बारिश की कमी और खराब उत्पादन के चलते आत्महत्या करने के मामले लगातार आते रहे हैं. यह इलाका महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा किसान आत्महत्याओं के लिए जाना जाता है. इसके अलावा यहां दलित समुदाय की बड़ी आबादी है और जीत हार में इनकी अहम भूमिका मानी जाती है. युवाओं के लिए बेरोजगारी की समस्या उन्हें पलायन करने पर मजबूर करती है.
विदर्भ के बड़े नेता
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस नागपुर दक्षिण पश्चिम सीट से विधायक हैं. जबकि कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले भी विदर्भ से आते है. कांग्रेस नेता नितिन राउत भी विदर्भ से आते है. भाजपा के वरिष्ठ नेता सुधीर मुंघंटीवार भी विदर्भ के नेता है जो लोकसभा चुनाव चन्द्रपूर्व से लड़ रहे हैं. केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी भी विदर्भ के नागपुर से हैं.
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FIRST PUBLISHED : April 3, 2024, 18:35 IST