पूर्णिया : रागी की खेती के लिए जुलाई का महीना अच्छा माना जाता है. जुलाई के महीने में इसकी तैयारी शुरू की जाती है. हालांकि इसकी खेती बुआई और नर्सरी के तरह लगा सकते हैं. साथ ही याद रहे इसका बेहतर उत्पादन के लिए मिट्टी मे मौजूद पोषक तत्व का उपलब्ध रहना बहुत जरूरी है.
रागी कई पोषक तत्वों से भरपूर होता है खरीफ सीजन की शुरुआत में किसान इसकी खेती करते हैं .इसके फायदे के कारण लोग इसका सेवन करना खूब पसंद करते हैं. हालांकि इसमें कैल्शियम की मात्रा काफी अधिक पाई जाती है. इससे हड्डियां मजबूत होती है और सर्दियों में उसका सेवन करने से शरीर में भी गर्मी महसूस होती है. और आपका शरीर सर्दी जुकाम से दूर रहता है. रागी खाने से पाचन तंत्र भी सही काम करता है और वजन भी पूरी तरह कंट्रोल रहता है.
वहीं गर्भवती महिलाओं के शरीर में आयरन की कमी को भी पूरा करने में रागी बहुत कारगर साबित होता है. इसके अलावा कई बीमारियों में रागी का सेवन बहुत लाभदायक माना गया है. हालांकि इसकी गिनती मोटे अनाजों में होती है . इसके फायदे को देखते हुए यह जानना जरूरी होता है कि इसकी खेती कब और कैसे की जाती है ताकि किसान भाई को अच्छा उत्पादन मिल सके.
कृषि कॉलेज के एक्सपर्ट से जाने कैसे करें खेती
वहीं जानकारी देते हुए पूर्णिया भोला पासवान शास्त्री कृषि महाविद्यालय के कृषि एक्सपर्ट डॉ राधेश्याम ने Local 18 से बताया कि रागी की खेती के लिए जुलाई का महीना बहुत बेहतर होता है. फिर मानसून की शुरुआत होते ही खेत को 2 जुताई कर खेत को एक दो बार पाटा लगाकर उन्हे समतल कर देनी चाहिए. और इसकी खेती शुरू कर देनी चाहिए. हालांकि उन्होंने कहा कि इसकी खेती दो तरीके से की जाती है पहले तरीके बीज की सीधी बुवाई करके हम इसकी खेती कर सकते हैं. तो वहीं दूसरी विधि में रागी की नर्सरी तैयार करके सीमित दूरी पर भी लगा सकते हैं.
रागी लगाते समय इन बातों का रखे ध्यान
डॉ. राधेश्याम कहते हैं कि रागी की खेती दो तरह से की जा सकती है एक बुआई विधि से भी इसकी खेती आसानी से की जा सकती है तो वहीं दूसरी तरफ से नर्सरी के पौधे लगाकर भी इसकी खेती की जा सकती है. लेकिन याद रहे की नर्सरी की पौधे की तरह रागी की खेती करते हैं तो ऐसे में किसान भाइयों को यह याद रखना जरूरी होगा कि पौधे से पौधे की दूरी 10 से 15 सेंटीमीटर होनी चाहिए और लाइन से लाइन के पौधे की दूरी लगभग 30 सेंटीमीटर होनी चाहिए जिससे यह बेहतर उत्पादन देगा.
रागी के बुआई से लेकर कटाई तक ऐसे करें उर्वरक का प्रयोग
हालांकि उन्होंने कहा कि रागी की खेती करने के लिए शुरुआती दौर में किसान भाइयों को नाइट्रोजन पोटाश और डीएपी का प्रयोग करना पड़ता है. जिससे पोषक तत्व प्रबंधन करने के आसानी होती हैं. इसके लिए नाइट्रोजन फास्फोरस और पोटाश की जरूरत पड़ती है और शुरुआती के समय जब हम बीज बुआई करें तो इस दौरान लगभग 45 किलोग्राम नाइट्रोजन, 50 किलोग्राम फास्फोरस और 45 किलोग्राम पोटाश खेत में बुवाई के समय ही मिट्टी में मिला देना चाहिए. इसके बाद बुवाई करनी चाहिए और शेष बचे 45 किलोग्राम ग्राम नाइट्रोजन को जब दाने की अवस्था आती है उसे समय छिड़काव करनी चाहिए. जिससे पौधे को समय-समय पर पोषक तत्व मिलता रहे और वह आसानी से बेहतर उत्पादन देगा.
रागी लगाने से पहले ऐसे खेत का चयन जरूरीवही जानकारी देते हुए पूर्णिया भोला पासवान शास्त्री कृषि महाविद्यालय के एक्सपर्ट डॉ राधे श्याम कहते हैं कि रागी की खेती शुरू करने से पहले खेत का चयन जरूरी हैं. हालाँकि उन्होंने कहा कीखरीफ के मौसम यानी बरसात में सिंचाई की आवश्यकता कम पड़ती है. लेकिन इस समय बरसात का समय होता है इसलिए इस दौरान खेत में जल जमाव की समस्या ना हो इसलिए किसान भाईयों को जल निकासी का प्रबंधन जरूर कर लेना चाहिए और जहां ऊपरी जमीन की खेती हो वहां पर उसकी खेती करना चाहिए. जिससे कम लागत और ज्यादा मुनाफा किसान को मिलेगा.
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FIRST PUBLISHED : June 24, 2024, 22:54 IST