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राम रहीम की फरलो: राजनीतिक गलियारों में तीखी चर्चा शुरू

चंडीगढ़, 13 अगस्त 2024: हरियाणा विधानसभा चुनाव के माहौल को देखते हुए डेरा सच्चा सौदा सारसा के प्रमुख संत गुरमीत राम रहीम सिंह को हरियाणा सरकार द्वारा दी गई 21 दिन की फर्लो छुट्टी पर सियासी बवाल मच गया है. हालांकि पैरोल या फरलो मिलना एक कानूनी घटना है, लेकिन राजनीतिक हलके हरियाणा की बीजेपी सरकार द्वारा डेरा प्रमुख को लेकर लिए गए इस फैसले को कुछ महीनों बाद हरियाणा में होने वाले विधानसभा चुनाव से जोड़कर देख रहे हैं. पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने शुक्रवार को डेरा प्रमुख को फरलो या पैरोल न देने संबंधी शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की याचिका खारिज कर दी और आदेश दिया कि हरियाणा सरकार इस मामले में कानून के मुताबिक फैसला ले.

मंगलवार को हरियाणा सरकार ने राम रहीम को छुट्टी दे दी है, जिसके तहत डेरा सिरसा प्रमुख भी उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के बरनावा स्थित डेरे में पहुंच गए हैं. आगामी 15 अगस्त को डेरा प्रमुख का जन्मदिन है, जिसे डेरा श्रद्धालु बड़ी धूमधाम और उत्साह के साथ मनाते हैं. इस आयोजन को लेकर युद्ध स्तर पर तैयारियां की जा रही हैं. बेशक डेरा प्रबंधन इस मुद्दे पर कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है, लेकिन राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि हरियाणा सरकार ने डेरा प्रमुख को यह फरलो तब दी है, जब बीजेपी इसके बाद होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारी कर रही है. कुछ महीने जलाने में लगे रहे

संयुक्त किसान मोर्चा गैर राजनीतिक द्वारा दिल्ली जाने के लिए शुरू किए गए संघर्ष के दौरान हरियाणा सरकार की भूमिका और एक किसान की मौत से हरियाणा के किसानों में पैदा हुए आक्रोश को देखते हुए ये चुनाव भाजपा के लिए विशेष महत्व रखते हैं। एक गोली। सूत्रों का कहना है कि हरियाणा में लगातार दो बार सरकार बना चुकी बीजेपी हैट्रिक बनाने के लिए कुछ भी करने को तैयार है. इसी वजह से डेरा प्रमुख की छुट्टी को हरियाणा के राजनीतिक जानकार बीजेपी की इसी राजनीतिक सोच से जोड़कर देख रहे हैं. इन जानकारों को ऐसा लग रहा है कि राम रहीम के जरिए बीजेपी अब डेरा अनुयायियों जैसे अहम वोट बैंक को राजनीतिक संदेश देना चाहती है.
हरियाणा में 90 विधानसभा सीटें हैं और डेरा सिरसा को तीन दर्जन से अधिक निर्वाचन क्षेत्रों में एक मजबूत ताकत माना जाता है। जानकारी के मुताबिक, 2014 के विधानसभा चुनाव के दौरान डेरा सिरसा ने बीजेपी को समर्थन दिया था और पार्टी ने 90 में से 47 सीटें जीतकर पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाई थी. 2017 में डेरा प्रमुख की सज़ा से डेरा अनुयायी नाराज हो गए थे, जिसके चलते बीजेपी ने 40 विधानसभा क्षेत्रों में जीत हासिल की और सरकार बनाने के लिए उन्हें चौटाला परिवार के सामने घुटने टेकने पड़े. दिलचस्प पहलू यह है कि काफी जोर लगाने के बाद भी बीजेपी डेरा प्रेमियों के गढ़ रहे सिरसा में एक भी सीट नहीं जीत पाई, जबकि फतेहाबाद जिले में उसे सिर्फ दो सीटें ही मिल पाईं.
बड़ी बात यह है कि 2024 के संसदीय चुनाव के मौके पर बीजेपी हरियाणा की 10 में से पांच सीटों पर जीत हासिल करने में सफल रही. इनमें से तीन विधानसभा क्षेत्र ऐसे हैं जिनमें डेरा सिरसा का मजबूत आधार है, जबकि 2019 में डेरा के आशीर्वाद से 10 विधानसभा क्षेत्रों में डेरा का परचम लहराया। सूत्रों का कहना है कि बीजेपी ने कुछ समय पहले एक गुप्त सर्वे कराया था, जिसमें यह बात सामने आई है कि कई विधानसभा क्षेत्रों में डेरा अनुयायियों के पास 15 से 20 हजार वोट हैं, तो कई में 10 से 15 हजार वोट हैं. सूत्रों ने यह भी बताया है कि बीजेपी नेतृत्व को यह भी पता चल गया है कि डेरा सिरसा के समर्थन के बिना तीसरी बार सरकार बनाना संभव नहीं है.
अहम राजनीतिक सूत्रों के मुताबिक, आगामी विधानसभा चुनाव के दौरान डेरा के सहारे सियासी नैया पार करने की फिराक में बैठी बीजेपी ने अब राम रहीम को रिहा करने का फैसला किया है. इन सूत्रों ने बताया है कि बीजेपी नेतृत्व इस मामले में किसी भी तरह का जोखिम नहीं लेना चाहता है. इसी वजह से चुनाव से पहले डेरा प्रमुख की छुट्टी को राजनीतिक हलकों में आरामदायक नहीं माना जा रहा है. डेरा समर्थकों को छुट्टी मिलने के बाद उनमें उत्साह देखकर बौखलाई बीजेपी को ईवीएम में ‘कमल’ का बटन दबता नजर आने लगा है. हरियाणा के एक बीजेपी नेता ने नाम न छापने की शर्त पर स्वीकार किया कि हरियाणा में बड़ा वोट बैंक होने के कारण राजनीतिक दलों की नजर डेरा सिरसा पर रहती है.

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