सिमरनजीत सिंह/शाहजहांपुर: शाहजहांपुर के बिसरात घाट से कभी नदियों के जरिए व्यापार किया जाता था. यहां के दो प्रसिद्ध बाजार गाड़ीपुरा और अहमदपुरा से माल का निर्यात देश के अन्य शहरों के लिए किया जाता था. माल को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने के नावों का इस्तेमाल हुआ करता था. लेकिन आज घाट हनुमत धाम के नाम से जाना जाता है. हनुमान धाम की पहचान धार्मिक पर्यटन स्थल के तौर पर की जाती है. यहां उत्तर भारत की सबसे ऊंची हनुमान जी की मूर्ति स्थापित है. हनुमान जी की मूर्ति के दर्शन करने के लिए भक्त दूर-दूर से यहां आते हैं.
शहर से होकर गुजरने वाली खन्नौत नदी के बिसरात घाट पर नदी के बीचों-बीच बने टापू पर हनुमान जी की भव्य मूर्ति स्थापित है. हनुमान जी की इस भव्य मूर्ति को देखने के लिए दूर-दूर से पर्यटक यहां आते हैं. यहां रोजाना शाम को बड़ी संख्या में हनुमान भक्त दर्शन करने पहुंचते हैं. इतिहासकार डॉ. विकास खुराना बताते हैं कि वर्ष 1901 में तत्कालीन जिला कलेक्टर मनुकी द्वारा यहां पक्के घाटों का निर्माण कराया गया था. यहां के जाने-माने बाजार गाड़ीपुरा और अहमदपुरा से तैयार होने वाले माल को दूसरी जगहों के लिए निर्यात किया जाता था.
शाम को होता है मनमोहक दृश्य
चारों ओर नदी से घिरा होने की वजह से हनुमत धाम की शाम बेहद मनमोहक होती है. टापू पर विराजमान हनुमान जी की मूर्ति के आगे बड़ा फवारा लगाया गया है. शाम होते ही पूरा हनुमत धाम रंग-बिरंगी लाइटों से जगमगा उठता है. शाम होने पर यहां का वातावरण बेहद ही शांत हो जाता है जो हर किसी के मन को मोह लेता है.
टापू पर विराजमान हैं रामभक्त हनुमान
जिस टापू पर हनुमान जी की मूर्ति स्थापित है, उसके नीचे गुफा बनाई गई है. यहां भी हनुमान जी की एक छोटी मूर्ति स्थापित की गई है. यहां आकर भक्त पूजा करते हैं. इसके अलावा इस गुफा में भगवान गणेश, सूर्य देवता और शिवलिंग के अलावा अन्य देवी देवताओं की मूर्तियां भी स्थापित हैं.
उत्तरी भारत की सबसे ऊंची प्रतिमा
हनुमान जी की इस मूर्ति की ऊंचाई 104 फीट है और टापू सहित इसकी कुल ऊंचाई 125 फीट है. यह हनुमान जी की मूर्ति उत्तर भारत की सबसे ऊंची मूर्ति है. हनुमान जी की इस भव्य मूर्ति के निर्माण का काम 2003 में शुरू हुआ था, जिसको 10 वर्ष से भी ज्यादा समय पूरा करने में लगा था.
.
Tags: Local18, Shahjahanpur News, Uttar Pradesh News Hindi
FIRST PUBLISHED : April 22, 2024, 19:15 IST