सच्चिदानंद/पटना. हिंदू धर्म में हर माह शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को विनायक चतुर्थी का व्रत किया जाता है. इस बार चैत्र माह में विनायक चतुर्थी 12 अप्रैल को मनाई जाएगी. इस दिन भगवान गणेश की पूजा होती है. कहा जाता है कि गजानन की विधिपूर्वक पूजा करने से जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है और भगवान प्रसन्न होते हैं. पटना के मशहूर ज्योतिषविद डॉ. श्रीपति त्रिपाठी ने बताया कि विनायक चतुर्थी के दिन मोदक और दूर्वा का भोग लगाना ना भूलें. साथ ही गणेश मंत्रों का उच्चारण करते हुए पूजा करनी चाहिए.
यह है टाइमिंग
डॉ. श्रीपति त्रिपाठी के अनुसार 12 अप्रैल को चैत्र नवरात्रि का चौथा दिन है. इस दिन मां कुष्मांडा की पूजा होगी. साथ ही विनायक चतुर्थी भी है. मां और गजानन की पूजा का अद्भुत संयोग 12 अप्रैल को है. इस महीने चतुर्थी तिथि 11 अप्रैल की शाम 06 बजकर 06 मिनट से ही शुरू हो जाएगी, जो 12 अप्रैल को 04 बजकर 49 मिनट तक रहेगी है.
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इसीलिए 12 अप्रैल को ही विनायक चतुर्थी मान्य होगा. इस दिन माता कुष्मांडा के साथ गणेश जी की भी पूजा होगी. विनायक चतुर्थी के दिन गणेश पूजा का शुभ मुहूर्त 11 बजकर 05 मिनट से दोपहर 01 बजकर 11 मिनट तक रहेगा. इस दौरान आपको पूजा के लिए 2 घंटे से अधिक का समय प्राप्त होगा.
इन मंत्रों का करें जाप
विनायक चतुर्थी के शुभ दिन की शुरुआत स्नान कर के करें. गणेश जी की मूर्ति को एक चौकी पर स्थापित करें. बाद में उनका जलाभिषेक करें. इस दौरान भगवान गणेश को चंदन का तिलक लगाएं. भगवान गणेश जी को वस्त्र, कुमकुम, धूप, दीप, लाल फूल अक्षत, पान, सुपारी आदि अर्पित करें. बप्पा को मोदक और दूर्वा बेहद पसंद है. इसीलिए मोदक को प्रसाद के रूप में जरूर शामिल करें. बप्पा को प्रसन्न करने के लिए इस दिन ‘ऊँ वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरू में देव, सर्व कार्येषु सर्वदा।।’ का जाप जरूर करें. साथ ही गणेश मंत्र स्तोत्र का भी जाप कर सकते हैं.
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FIRST PUBLISHED : April 10, 2024, 20:36 IST