करौली : आधुनिक जीवन के सबसे उपयोगी संसाधन कंप्यूटर में आज के जमाने में अच्छी स्पीड में टाइपिंग आना समय की मांग के हिसाब से बहुत जरूरी हो गया है. नौकरी सरकारी हो या फिर प्राइवेट, हर फील्ड के अधिकांश जॉब में अब टाइपिंग की आवश्यकता पहली प्राथमिकता बन गई है. ऐसे में आज हम बात कर रहे हैं करौली के एक ऐसे 35 साल पुराने टाइपिंग सेंटर की, जहां से टाइपिंग सीखकर अब तक हजारों युवा अपने सरकारी नौकरी के सपने को साकार कर चुके है. आगरा टाइपिंग सेंटर के नाम से करौली में प्रसिद्ध, इस टाइप सेंटर की 1989 में नींव लगी थी.
शहर के सबसे पुराने इस टाइप सेंटर पर आज भी एक बुजुर्ग बाबा निरंतर 35 सालों से बच्चों को टाइपिंग सिखाते आ रहे हैं. इन्हें लोग टाइपिंग के जादूगर कहते है. बहुत कम दिनों में ही बाबा लोगों की उंगलियों में ऐसा कौशल भर देते हैं कि वह टाइपिंग में जल्द ही एक्सपर्ट बन जाते है. यह तमाम बातें लोकल 18 नहीं बल्कि यहां टाइपिंग सीख रहे स्टूडेंटों ने बताई है. गजब की टाइपिंग सिखाए जाने के कारण 1989 के इस टाइप सेंटर पर सुबह से लेकर रात तक सीखने वालों की भीड़ हमेशा लगी रहती है.
70 साल के बाबा सिखाते है टाइपिंग
1 महीने से आगरा टाइपसेंटर पर टाइपिंग करने आ रही रिंकी गुप्ता ने बताया कि यहां बहुत अच्छी टाइपिंग सिखाई जाती है. यहां पर दो या तीन दिनों में ही बाबा बेसिक टाइपिंग सीखा देते हैं और फिर स्पीड पर काम शुरू हो जाता है. गुप्ता का कहना है कि यहां पर हमें एक उम्रदराज बाबा टाइपिंग सीखाते हैं. बाबा के टाइपिंग सीखाने के स्कील भी बहुत शानदार है.
बाहर से बच्चे आते हैं टाइपिंग सीखने
दूसरे स्टूडेंट ने शिवम शर्मा ने बताया कि आगरा टाइप सेंटर करौली में सबसे पुराना टाइप सेंटर है. टाइपिंग के क्षेत्र में यहां बेहतरीन नॉलेज रखने वाले एक 70 साल के बाबा हैं. बाबा को टाइपिंग का बहुत अच्छा और लंबा अनुभव है. जिसे बच्चों को वह बहुत कम पैसों में देते हैं. उन्होंने बताया कि यहां पर बच्चे बाहर से भी लोग टाइपिंग सीखने आते हैं. ज्यादातर बच्चे यहां एग्जाम क्वालीफाई करके टाइपिंग सीखने के लिए आते है. यहां से टाइपिंग सीखने वाले कई बच्चें देश के गृह मंत्रालय तक अपनी सेवाएं दे रहे हैं.
सबसे यूनिक है बाबा का तरीका
शिवम शर्मा का कहना है कि आगरा टाइपिंग सेंटर पर बाबा एकदम परफेक्ट टाइपिंग सिखाते हैं. इनका टाइपिंग सीखाने का तरीका बड़े शहरों में चलने वाले टाइपिंग सेंटरों से बिल्कुल अलग और यूनिक है. बाबा के तरीके से टाइपिंग सीखने पर स्पीड बहुत जल्दी और बहुत कम टाइम में अच्छी टाइपिंग की जा सकती है.
टाइपिंग सिखाने की बहुत छोटी है इनके पास ट्रिक
आगरा टाइप सेंटर के 70 वर्षीय बाबा देवी सिंह चाहर का कहना है कि उनका टाइप का तरीका और से एकदम भिन्न है. वह बच्चों को सॉफ्टवेयर पर नहीं वर्ल्ड और पेजमेकर में टाइपिंग करवाते है. उनका कहना है कि मेरी टाइपिंग सीखाने की कला एक बहुत छोटी सी ट्रिक है. बच्चा अगर एक बार में उसे पकड़ लेता है तो वह महीनेभर में अच्छा टाइपिस्ट बन जाता है. देवी सिंह चाहर का कहना है कि मैं अपने यहां आए बच्चों को उंगलियों को चलाने का तरीका सही ढंग से बताता हूं. जिससे सीखने वाले बच्चा अंग्रेजी की टाइपिंग 3 दिन में और हिंदी की टाइपिंग 7 दिन में सीख जाता है और 1 महीने में पूरी तरह से इन दोनों टाइपिंग को सीख जाता है.
हजारों बच्चों को सीखा चुके हैं टाइपिंग
70 वर्षीय देवी सिंह चाहर का कहना है कि मैं 35 साल में हजारों बच्चों को टाइपिंग सीख चुका हूं. जिनमें से अधिकांश की सरकारी नौकरी लग गई. कॉलेज में जितने बच्चे होते हैं उतने मेरे यहां से परफेक्ट टाइपिंग सीख कर चले गए है. चाहर का कहना है कि करौली में ऐसा कोई सरकारी दफ्तर नहीं जहां मेरे से टाइपिंग सिखाने वाले बच्चें न हो, बेंगलुरु से लेकर दिल्ली के गृह मंत्रालय तक उनके द्वारा सिखाए हुए बच्चे अपनी सेवाएं दे रहे है.
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FIRST PUBLISHED : April 27, 2024, 20:16 IST