कोरबा. मैकल पर्वतमाला के एक हिस्से में स्थित है चैतुरगढ़ का मंदिर, यह मंदिर भारतीय पुरातत्व विभाग के द्वारा संरक्षित किया गया है. इसे छत्तीसगढ़ का कश्मीर भी कहा जाता है. महिषासुर मर्दिनी मंदिर समुद्र तल से 3,060 फ़ीट की ऊंचाई पर है. महिषासुर मर्दिनी मंदिर की ख़ास बात यह है कि भीषण गर्मी में यहां का तापमान 25-30 डिग्री सेल्सियस रहता है. इस वजह से इस जगह को कश्मीर से कम नहीं समझा जाता. आइए जानते हैं चैतुरगढ़ किले और मंदिर के बारे में…
छत्तीसगढ़ के प्रमुख ऐतिहासिक पर्यटन स्थलों में से एक है चैतुरगढ़. यह क्षेत्र अनुपम, अलौकिक और प्राकृतिक दृश्यों से परिपूर्ण एक मंत्रमुग्ध कर देने वाला दुर्गम स्थान है. चैतुरगढ़ किले में सबसे ज़्यादा महिषासुर मर्दिनी मंदिर ही मशहूर है. मंदिर को कल्चुरी शासन काल के दौरान राजा पृथ्वीदेव द्वारा सन् 1069 ईस्वीं में बनवाया गया था. मां महिषासुर मर्दिनी की मूर्ति, 12 भुजाओं वाली मूर्ति है जो गर्भ गृह में स्थापित है.
माता रानी के दर्शन के साथ लोग यहां पुरातन दृष्टिकोण से घूमने आते हैं और सुंदर हरे भरे प्रकृति के बीच आनंद उठाते हैं. बिलासपुर-कोरबा मार्ग पर 50 किमी दूर स्थित है यह ऐतिहासिक स्थान है. जहां से लाफागढ़ की दूरी लगभग 125 किमी है. लाफा से चैतुरगढ़ 30 किलोमीटर दूर स्थित है. जिसको छत्तीसगढ़ का कश्मीर भी कहा जाता है. पुरातत्वविदों ने इसे मजबूत प्राकृतिक किलों में शामिल किया गया है, चूंकि यह चारों ओर से मजबूत प्राकृतिक दीवारों से संरक्षित है केवल कुछ स्थानों पर उच्च दीवारों का निर्माण किया गया है. किले के तीन मुख्य प्रवेश द्वार हैं जो मेनका, हुमकारा और सिंहद्वार नाम से जाने जाते हैं.
ऐसे पहुंचा जा सकता है चैतुरगढ़
हवाई जहाज द्वारा – आप स्वामी विवेकानन्द अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा पहुंचकर किले तक आ सकते हैं. राज्य की राजधानी रायपुर से किले की दूरी 200 किलोमीटर है.
ट्रेन द्वारा – चैतुरगढ़ कोरबा रेलवे स्टेशन से लगभग 50 किलोमीटर और बिलासपुर रेलवे स्टेशन से लगभग 55 किलोमीटर की दूरी पर है.
सड़क द्वारा – चैतुरगढ़ कोरबा बस स्टैंड से लगभग 50 किलोमीटर की दूरी पर और बिलासपुर बस स्टैंड से करीबन 55 किमी की दूरी पर स्थित है.
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FIRST PUBLISHED : June 24, 2024, 15:01 IST