वसीम अहमद/अलीगढ़: उत्तर प्रदेश का अलीगढ़ जिला सिर्फ ताले और विश्व विख्यात अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के लिए ही देश और दुनिया में मशहूर नहीं है. बल्कि शहर ने कई ऐतिहासिक इमारतों की कहानियों को संजो रखा है जिसकी विरासतें इसकी पुरातन पहचान से परिचय कराती है. ऐसी ही ऐतिहासिक धरोहरों में से एक अलीगढ़ के हकीम की सराय इलाके में मौजूद एक सुरंग है.
इस सुरंग की कहानी ब्रिटिश शासन काल से जुड़ी हुई है. जानकारी के मुताबिक ब्रिटिश शासन काल में अंग्रेजों से लड़ने के लिए क्रांतिकारी इसी सुरंग का इस्तेमाल करते थे. इस सुरंग को अलीगढ़ के स्वतंत्रता सेनानी रहे मदनलाल हितेषी द्वारा चुना गया था.
35 फीट लम्बी और 7 फीट चौड़ी है सुरंग
जानकारी देते हुए प्रशांत हितेषी बताते हैं कि अलीगढ़ के हकीम की सराय इलाके में मौजूद यह सुरंग करीब 200 से 250 साल पुरानी है. ये 35 फीट लम्बी और 7 फीट चौड़ी है. इस सुरंग को ब्रिटिश शासन काल के समय अलीगढ़ के क्रांतिकारी रहे उनके दादा मदनलाल हितेषी द्वारा चिन्हित किया गया था.
क्रांतिकारियों को मिलती थी पनाह
इस सुरंग की देखभाल उनके परिवार द्वारा ही किया जाता है. ये सुरंग प्रशांत हितेषी के मकान के बेसमेंट में मौजूद है. दरअसल, सुरंग की जर्जर अवस्था होने पर इसकी मरम्मत का जिम्मा परिवार द्वारा उठा लिया गया था. स्वतंत्रता सेनानी रहे मदन लाल हितेषी के पोते प्रशांत हितेषी बताते हैं कि जितने भी महान क्रांतिकारी हुए हैं, ये उन लोगों की छिपने की जगह हुआ करती थी.
1942 बम कांड की है गवाह
प्रशांत हितेषी आगे बताते हैं कि अंग्रेजों के खिलाफ क्रांतिकारियों द्वारा अलीगढ़ में 1942 में एक बम कांड को अंजाम दिया गया था, जिसमें कई अंग्रेजी सैनिक मारे गए थे. इसके बाद सभी क्रांतिकारियों ने इस जगह मे शरण ली थी. अलीगढ़ का लाल मदनलाल उनका नारा था साथ ही वह युथ आइकॉन थे. उस समय क्रांतिकारियों द्वारा इन सुरंगों का इस्तेमाल एक जगह से दूसरी जगह तक जाने के लिए किया जाता था.
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FIRST PUBLISHED : June 25, 2024, 16:20 IST