मोर मुकुट के बिना अधूरी है बाबा बैद्यनाथ की महाशिवरात्रि, 300 साल से इस गांव में होता है तैयार

परमजीत कुमार/देवघर. बाबा बैद्यनाथ मंदिर में महाशिवरात्रि को लेकर जबरदस्त उत्साह देखने को मिल रहा है. देवघर को सिर्फ देवों की ही नगरी नहीं कहा जाता, बल्कि परंपराओं का शहर भी बोला जाता है. यहां की परंपरा अनोखी है. कल महाशिवरात्रि है. कल के दिन ही भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती विवाह के अटूट बंधन में बंधे थे.

सभी शिवालय में शिव बारात निकाली जाएगी और देर रात भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह संपन्न होगा. देश भर में अलग-अलग जगह पर अलग-अलग परंपराओं के साथ भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह कराया जाता है. महाशिवरात्रि के दिन देवघर के बैद्यनाथ मंदिर में मोर मुकुट चढ़ाए जाने की परंपरा है. यह मोर मुकुट देवघर के किसी खास जगह से बनकर तैयार होता है.

मोर मुकुट के बिना नहीं होता विवाह
देवघर और आसपास के इलाकों में जब दूल्हा शादी करने के लिए बारात लेकर दुल्हन के यहां पहुंचता है तो दूल्हे को मोर मुकुट पहना कर विदा किया जाता है. बिना मोर मुकुट पहने दूल्हा दुल्हन के माथे पर सिंदूर नहीं लगाता है और यह परंपरा आदिकाल से ही चली आ रही है. माना जाता है कि भगवान शिव मोर मुकुट पहनकर ही माता पार्वती से विवाह करने गए थे. वहीं, महाशिवरात्रि के दिन भी यह परंपरा निभाई जाती है. पहले मोर मुकुट भगवान भोलेनाथ पर अर्पण किया जाता है. फिर बाबा भोले और माता पार्वती का विवाह संपन्न होता है.

देवघर के सबसे पुराने गांव में बनता है मोर मुकुट
देवघर शहर से 7 किलोमीटर की दूरी पर रोहिणी गांव है. माना जाता है कि यह देवघर का सबसे पुराना गांव है. इस गांव को रोहिणी स्टेट के नाम से भी जानते हैं. रोहिणी राज परिवार के सदस्य संजीव देव का कहना है कि रोहिणी के ठाकुरबाड़ी में भगवान भोलेनाथ साक्षात आकर यहां पर एकांत में विश्राम करते थे. रोहिणी से भगवान भोलेनाथ का नाता अनंत काल से है. हमारे पूर्वज ने मोर मुकुट की जिम्मेदारी ली थी. यह जिम्मेदारी हम लोग अभी तक निभाते आ रहे हैं. यह मोर मुकुट मालाकार परिवार से बनवाया जाता है. वहीं, रोहिणी से मोर मुकुट लगभग 300 साल से देवघर के बाबा बैद्यनाथ मंदिर में जा रहा है. इस मोर मुकुट की पहले यहां के ठाकुरबाड़ी में पूजा होती है, उसके बाद बैद्यनाथ मंदिर को अर्पण कर विवाह संपन्न कराया जाता है. यहां से सिर्फ मोर मुकुट नहीं, बल्कि शादी में उपयोग होने वाले जनेऊ, सुपारी, गमछा एवं अन्य चीजों को भी मंदिर भेजा जाता है.

क्या कहते हैं मालाकार
शादी के दिन उपयोग होने वाले मोर मुकुट रोहिणी के खास मालाकार परिवार के द्वारा तैयार किया जाता है. वहीं, मोर मुकुट बनाने वाले बम शंकर मालाकार का कहना है कि मोर मुकुट बनाने वाली वह चौथी पीढ़ी से हैं. पिछले 60 साल से मोर मुकुट को तैयार कर रहे हैं. जब Local 18 ने उनसे पूछा कि मोर मुकुट बनाने के बदले में क्या मेहनताना मिलता है? तब उन्होंने कहा, भोलेनाथ ने हमें सब कुछ दिया है. उनके आशीर्वाद से घर में कोई तकलीफ नहीं है. घर में खुशहाली और शांति बनी है. इससे ज्यादा और कुछ क्या चाहिए.

Tags: Baba Baidyanath Dham, Deoghar news, Local18, Mahashivratri

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