धनबाद: झारखंड की ऐसी शख्सियत जिन्होंने ताउम्र पर्यावरण को बेहतर बनाने और पक्षी संरक्षण के लिए काम किया. अब भी वह जीन-जान से इसी काम में लगे हैं. लेकिन, इसी बीच धनबाद के मशहूर पर्यावरणविद अखिलेश कुमार सहाय ने एक अजीबोगरीब फैसला लिया है, जिसको लेकर उन्होंने एक वसीयतनामा भी तैयार करा लिया है.
वसीयत में उन्होंने लिखा कि मरणोपरांत वह अपने शरीर को हिंदू रीति-रिवाज के अनुसार अग्नि को समर्पित नहीं करना चाहते. इसके बजाय वह अपने शव को जंगल को सौंपना चाहते हैं. एके सहाय बताते हैं कि इस दुनिया में आने के बाद उन्होंने हर किसी को जाना है. मेरी वसीयत है कि मरने के बाद मेरी लाश को जंगलों में रख दिया जाए.
मेरी मौत के बाद ये भी करना…
मानव शरीर प्रकृति और ईश्वर की देन है. मानव शरीर के प्रत्येक दाह संस्कार में लगभग 400 से 500 किलो कठोर लकड़ी की खपत होती है, जो पर्यावरण के लिए नुकसानदायक है. मनुष्य ही एकमात्र ऐसा जीव है जो प्रकृति और वन्य जीवन के संरक्षण के लिए कुछ नहीं करता. मैंने फैसला किया और वसीयत पर हस्ताक्षर किए हैं. मैंने मेरी मृत्यु के बाद अपनाए जाने वाली रीति-रिवाजों को बहुत सरल बना दिया है. मैंने यह भी कहा है कि अगर मेरी मौत धनबाद के बाहर होती है तो मेरे शव को पास के जंगल में रख दिया जाए. इसके अलावा कोई विस्तृत दावत नहीं, बस करीब 50 लंच पैकेट बनाएं जो भिखारियों को दिए जा सकें.
पक्षियों के लिए बनाया समूह
एके सहाय ने पक्षी संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए ‘धनबाद बर्डर्स’ के बैनर तले 30 पक्षी प्रेमियों का एक समूह जनता के बीच जागरूकता बढ़ाने के लिए बनाया, जिसपर यह समूह लगातार काम कर रहा है. समूह अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कई प्रकार की गतिविधियां कर रहा है, जिसमें विचारोत्तेजक प्रदर्शनियां स्थापित करना, पक्षियों की एक विस्तृत श्रृंखला की उपस्थिति के बारे में संबंधित अधिकारियों को रिपोर्ट प्रस्तुत करना और साइटों को घोषित करके पक्षी संरक्षण की मांग करना है.
वर्तमान में इस प्रोजेक्ट पर काम
उन्होंने बताया कि धनबाद बर्डर्स का उद्देश्य आम लोगों के बीच वन्य जीवन और पर्यावरण संरक्षण के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाना है. यह निरंतर सूचना अभियानों में लगा हुआ है और शहर भर में कई स्थानों पर कैरोल इंस्किप और डॉ. असद रहमानी जैसे प्रसिद्ध विशेषज्ञों के संदेशों वाली 25 प्रदर्शनियां स्थापित की हैं. एके सहाय की वर्तमान परियोजना तोपचांची झील के जलस्तर को बहाल करना है, जहां पानी का स्तर सामान्य से लगभग 80 प्रतिशत तक गिर गया है. इस बारे में डीएफओ विकास पालीवाल से वर्तमान स्थिति के संभावित कारणों के बारे में कुछ प्रारंभिक जांच शुरू करने की अपील की है. इसमें समय लगेगा, लेकिन कुछ नतीजे आने की संभावना है.
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FIRST PUBLISHED : June 26, 2024, 18:01 IST