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महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव: दमदमी टकसाल के मुखी का बीजेपी को समर्थन, पंजाब की राजनीति में हड़कंप

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव: दमदमी टकसाल के मुखी का बीजेपी को समर्थन, पंजाब की राजनीति में हड़कंप

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के दौरान दमदमी टकसाल के मुखी हरमन सिंह खालसा द्वारा बीजेपी गठबंधन सरकार को अपना समर्थन देने के ऐलान ने पंजाब की राजनीति में हलचल मचा दी है। खालसा ने एक प्रेस नोट जारी कर स्पष्ट रूप से बीजेपी और उसकी गठबंधन सरकार को वोट देने की अपील की, जिसके बाद एसजीपीसी और कई सिख नेताओं ने इस फैसले की तीखी आलोचना की है।

एसजीपीसी और सिख नेताओं की कड़ी प्रतिक्रिया
एसजीपीसी सदस्य गुरचरण सिंह गरेवाल ने कहा कि हरमन सिंह खालसा का यह बयान सिख संगत के लिए “हैरान करने वाला” है। उनका मानना था कि खालसा का यह फैसला सिखों की धार्मिक और राजनीतिक भावनाओं के खिलाफ जा रहा है।

पूर्व अकाली नेता वलटोहा ने भी इस बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की और कहा, “यह संस्था कभी संत जरनैल सिंह भिंडरावाला के नेतृत्व में थी, और अब इसका मुखी हरमन सिंह खालसा हैं। ऐसे बयान से मुझे धक्का लगा है।” वलटोहा ने खालसा से स्पष्टता की मांग करते हुए कहा कि वे इस फैसले पर अपना स्पष्टीकरण जरूर दें, ताकि उनके मन की बात सामने आ सके।

पंजाब में सिख समुदाय की प्रतिक्रिया
इस बयान के बाद सिख समुदाय के कई सदस्य हैरान हैं, क्योंकि दमदमी टकसाल एक धार्मिक और सांस्कृतिक संस्था है, और इससे जुड़ी प्रतिष्ठा को लेकर खालसा के इस फैसले ने कुछ धार्मिक नेताओं और सिख संगठनों को असहज कर दिया है। खासकर बीजेपी के प्रति सिखों की पारंपरिक दृष्टि को देखते हुए, खालसा का यह कदम विवादों को जन्म दे सकता है।

यह घटनाक्रम पंजाब और महाराष्ट्र दोनों ही राज्यों में सिख समुदाय के बीच राजनीतिक और धार्मिक मतभेदों को और भी स्पष्ट कर सकता है, और खालसा को अब इस पर जवाब देना होगा कि उन्होंने यह समर्थन क्यों दिया।

दमदमी टकसाल के मुखी हरमन सिंह खालसा ने महाराष्ट्र में भाजपा महायुति को समर्थन देने की घोषणा की

दमदमी टकसाल के मुखी हरमन सिंह खालसा ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के लिए भाजपा के नेतृत्व वाली महायुति (महागठबंधन) को अपना पूरा समर्थन देने की आधिकारिक घोषणा की है। अपने बयान में खालसा ने कहा कि पिछले 2.5 वर्षों में भाजपा सरकार ने गुरु नानक नाम लेवा संगत, सिखों, हिंदू पंजाबियों, लुभाना, सिकलीगर, सिंधी और बंजारा समुदायों के कल्याण के लिए कई महत्वपूर्ण नीतियां लागू की हैं, जो इन समुदायों की सामाजिक और आर्थिक प्रगति में निर्णायक भूमिका निभा रही हैं।

खालसा ने यह भी कहा कि महाराष्ट्र सरकार ने इन समुदायों के लिए कई लाभकारी घोषणाएं की हैं और उनके उत्थान के लिए ऐतिहासिक कदम उठाए हैं। उन्होंने विशेष रूप से उल्लेख किया कि हाल ही में गुरु नानक नाम लेवा संगत से नामित 11 सदस्यीय सिख प्रतिनिधि समिति का गठन किया गया है, जो महाराष्ट्र राज्य के अल्पसंख्यक आयोग में प्रतिनिधित्व प्राप्त कर चुकी है। यह कदम सिख समुदाय के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है और उनके समग्र उत्थान की दिशा में एक महत्वपूर्ण विकास के रूप में देखा जा रहा है।

इसके अतिरिक्त, खालसा ने यह भी बताया कि महाराष्ट्र सरकार ने अल्पसंख्यक आयोग में एक सिख सदस्य की नियुक्ति की है, जो सिख समुदाय के कल्याण और प्रगति के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को स्पष्ट रूप से दर्शाता है।

समाज के विभिन्न वर्गों के लिए सरकार की प्रतिबद्धता
खालसा ने अपने बयान में यह भी कहा कि भाजपा सरकार ने सिर्फ सिख समुदाय के लिए ही नहीं, बल्कि अन्य सामाजिक और धार्मिक समुदायों के लिए भी ऐतिहासिक पहल की हैं, जो उनकी सामाजिक और आर्थिक स्थिति में सुधार लाने के लिए सहायक रही हैं। उन्होंने भाजपा के नेतृत्व में गठबंधन सरकार को पूरी तरह से समर्थन देने का कारण यही बताया कि सरकार ने इन समुदायों के उत्थान के लिए ठोस कदम उठाए हैं, और यह समर्थन जारी रहेगा।

राजनीतिक प्रभाव और प्रतिक्रियाएं
इस बयान ने निश्चित रूप से पंजाब और महाराष्ट्र में सिख समुदाय के बीच चर्चा को जन्म दिया है। जहाँ कुछ नेता खालसा के इस समर्थन को सकारात्मक रूप में देख रहे हैं, वहीं कुछ अन्य राजनीतिक और धार्मिक संगठनों ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। इसने महाराष्ट्र और पंजाब की राजनीति में न केवल सिख समुदाय के हितों को लेकर बल्कि भाजपा के प्रति उनके दृष्टिकोण को लेकर नई बहस शुरू कर दी है।

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