मधुबनी : मधुबनी में प्रसिद्ध छिन्नमस्तिका माता का इतिहास बड़ा ही अद्भुत है, माना जाता है कि इस स्थल पर भवन बनाने की जब जब कोशिश की गई या तो भवन का निर्माण पूरा नहीं हो पाया या फिर भवन बनते ही ढेर हो गया. काफी बार ऐसा हुआ है. इससे स्थानीय लोग परेशान हो गए और अंत में माता को पीपल के पेड़ के नीचे ही छोड़ दिया. तबसे देवी मां पीपल के पेड़ के नीचे ही विराजमान है और माता रानी की वहीं आस्थापूर्वक पूजा की जाती है.
बड़ा गहरा है यहां का रहस्य
स्थानीय बुजुर्ग गणपत मिश्र बताते हैं कि इस स्थल पर पहले कभी मंदिर नहीं था, यह प्रतिमा कहीं और स्थित थी लेकिन एक रात एक चोर आया और उसने प्रतिमा चुराने की कोशिश की. फिर कुछ आगे तक वो प्रतिमा ले गया, लेकिन इसके बाद देवी की प्रतिमा एक पेड़ के नीचे गिर गई. इसके बाद बार बार उठाने के प्रयास में असफल चोर ने इसे इसी स्थल पर छोड़ दिया. तबसे यह प्रतिमा यहीं स्थापित है. वर्ष पूछे जाने पर वो बुजुर्ग बताते हैं कि यह कहानी 200 वर्षों से भी अधिक पुरानी है.
जिस चोर ने चुराई थी मूर्ति, वो मारा गया
कहानी यह भी है कि जिस चोर ने मां की मूर्ति चुराई थी वो एक हादसे में मारा गया.लेकिन कहानी सिर्फ मूर्ति चुराने की ही नहीं बल्कि एक और कही जाती है. बताया जाता है कि जब चोर इस स्थल से देवी की मूर्ति नहीं ले जा सका तो उसे कई प्रयासों में खंडित कर दिया. तबसे यहां पर वही खंडित प्रतिमा स्थापित है और उसी की पूजा की जाती है. शाम के समय और सुबह के समय आसपास के श्रद्धालु इस स्थल पर अराधना करते हैं. इस गांव में शांति का श्रेय भी लोग यहीं की माता को देते हैं.
और कई सारी कहानियां है इस जगह पर
यह जगह मधुबनी के झंझारपुर में स्थित है. झंझारपुर धार्मिक स्थल के रूप में पहले से विख्यात है. यहां महादेव का मंदिर भी स्थित है जिसे बिंदेश्वर महादेव के नाम से जानते हैं. माना जाता है कि यहां महादेव की पूजा अर्चना करने से बैद्यनाथ धाम के बराबर फल मिलता है. वहीं छिन्मस्तिका मंदिर का स्थल भी काफी अलौकिक है. यहां की कहानी भी मन मोहती है. माता का यह स्वरूप वटवृक्ष के नीचे बेहद शानदार दिखता है.
FIRST PUBLISHED : May 21, 2024, 22:08 IST