प्रेस से बातचीत में उन्होंने कहा कि हम बाबा बकाला कॉन्फ्रेंस में सिख धर्म से प्यार करने वाले सभी राजनीतिक दलों को आमंत्रित कर रहे हैं.
भाई सरबजीत सिंह खालसा द्वारा राजनीतिक पार्टी बनाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि बेशक हम लगातार मिलते रहते हैं लेकिन फैसला भाई अमृतपाल सिंह से मिलने के बाद ही लिया जाएगा.
उन्होंने यह भी कहा कि संप्रदाय का दिखावा करने वाली पार्टियों के चेहरों से नकाब उतर गया है. अकाली दल के बागी गुट पर भी उन्होंने कहा कि बेशक आज कोई कुछ भी कहे, लेकिन जब बेइज्जती हुई तो सब साथ थे.
जब चरणजीत सिंह चन्नी ने भाई अमृतपाल सिंह का मुद्दा उठाया तो उन्होंने कहा कि हर सांसद को जहां भी धकेला जा रहा हो, वहां आवाज उठानी चाहिए क्योंकि यह उनका कर्तव्य है.
उन्होंने कहा कि चाहे कांग्रेस हो, आम आदमी पार्टी हो या बीजेपी, हर पार्टी दिल्ली से चलती है और उनकी राजनीति के कारण आज यह स्थिति आ गई है कि हमारी क्षेत्रीय पार्टी भी अपने पदाधिकारियों की नाकामियों के कारण टूटने की कगार पर है. और इस वजह से लोगों को अब जागरूक होना होगा.
उन्होंने कहा कि हम आने वाले दिनों में बंदी सिंहों के परिवारों से भी मिलेंगे और उन्हें हमारे साथ आने के लिए कहेंगे.
अकाली दल के भविष्य के सवाल पर उन्होंने कहा कि सदस्यों ने अपना फैसला दे दिया है. उन्होंने कहा कि सरदार सुखबीर सिंह बादल को पंथ के हितों के लिए अपनी निजी कुर्सी छोड़ देनी चाहिए थी। ताकि पंथ उनके खिलाफ न जाए.
जब उनसे पूछा गया कि क्या ज्ञानी हरप्रीत सिंह को पंथ का नेतृत्व करना चाहिए, तो उन्होंने कहा कि पंथ का नेता ऐसा व्यक्ति होना चाहिए जो शांति से निर्णय ले सके और जिसमें धैर्य हो और जब तक किसी को मौका न दिया जाए तब तक उसके प्रदर्शन के बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता।