पूर्णिया : बरसात के मौसम में लत्तिदार सब्जियों की खेती पर वर्षा का विशेष प्रभाव पड़ता है. ऐसे में इन खेतों में जल जमाव की स्थिति हो जाने से लतवर्गीय सब्जियों की फसल बर्बाद होने का डर बना रहता है. और कई तरह के गंभीर बीमारियों का भी खतरा बना रहता है ऐसे में जल जमाव की स्थिति से निजात पाने के लिए कृषि एक्सपर्ट क्या कुछ कहते हैं आइये पूरी आर्टिकल बताते हैं.
लत्तरवर्गीय सब्जियों के पौधे की ऐसे करें देखभाल
कृषि विज्ञान केंद्र जलालगढ़ के कृषि वैज्ञानिक श्री दयानिधि चौबे ने Local 18 से बताया की गरमा सब्जियों की खेती में खासकर लत्तरवर्गीय सब्जियों की खेती होती हैं. ऐसे में इस मौसम में बरसात ज्यादा होती हैं जिस कारण लत्तिदार सब्जियों पर इसका विशेष असर पड़ता है और खेत में जलजमाव होने से ये फसल या सब्जी के पौधे खराब होने लगते हैं. इससे किसान भाई के उत्पादन पर असर पड़ता है.
हालांकि उन्होंने कहा जलजमाव की स्थिति जिस भी खेत पर पड़ता है उसका असर खेती पर पड़ता है. इससे बचने के लिए किसान भाई सबसे पहले अपने खेत में जलजमाव से निजात पाने के लिए अपने खेत में मेढ़ की धारा इस तरह बनाये की पानी रुकने ना पाय. सभी पानी नाली के सहारे बाहर आ जाए. जिससे सब्जी की खेती बर्बाद नही होगा.
लत्तिदार सब्जियों के पौधों पर इन बीमारियों का रहता है डर
कृषि वैज्ञानिक श्री दयानिधि चौबे कहते हैं कि बरसात में जलजमाव होने पर खेत मे लगे लत्तेदार सब्जियों के पौधे पीले होने लगते हैं. जलजमाव होने से पौधे की जड़े पानी में डूबे – होने के कारण श्वसन क्रिया सही से नहीं कर पाते हैं. और पौधे धीरे- धीरे कमजोर और पीला होने लगता हैं. उन्होंने बताया कि जलजमाव की स्थिति जिस खेत में बनती है. वहां सब्जियों के पौधे पीले होने लगते हैं, जड़े पानी में डूबी रहती है और सांस सही से नहीं ले सकती है, वहीं नमी का प्रतिशत बढ़ने से पौधों में अचानक फफूंदनाशक बीमारियों का प्रकोप बढ़ जाता है.
उन्होंने कहा कि फफूंदजनक बीमारियों के प्रकोप से लत्तरवर्गीय सब्जियों के पौधों का रंग पीला या भूरा या दोनों एक साथ होने लगता है. कभी कभी नमी के कारण बड़े-बड़े छिद्र दिखाई दे तो समझे कीट का प्रकोप खेतों में बढ़ने की संकेत है.उन्होंने कहा कीड़ो की संख्या जब अधिक मात्रा में होगी तो फली यानी सब्जी की खेती मे लगे पौधे और फल सब्जी दोनों ही पीले होने लगते हैं.
अगर पौधे में दिखे ये लक्षण तो करें इन दवाईयों का छिड़काव
कृषि विज्ञान केंद्र जलालगढ़ के कृषि वैज्ञानिक श्री दयानिधि चौबे ने क्षेत्र के सब्जी उत्पादक किसानों को जानकारी देते हुए कहा की अगर बरसात के समय खेत मे जलजमाव होने से लत्तेदार सब्जियों में दिखें ये लक्षण तो इन दवाईयों का छिड़काव् करें. कॉपर ऑक्सिक्लोराइड 50 ग्राम दवा 15 लीटर पानी में मिलाकर घोल को प्रत्येक पौधों में एक से दो लीटर डालना चाहिए. या आप कारबेंडाजीम जिसमें मेंकोडेब मिला हो 3 ग्राम प्रति एक लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करना चाहिए.
वहीं कीड़े लगने पर जैसे पत्ती चूसने वाली कीट या तनाच्छेदक कीट के लिए ईमीडाक्लोरोप्रिड या थायोमैथॉक्सम एक मिली प्रति एक लीटर पानी मे मिलाकर घोल का छिड़काव पौधों पर करना चाहिए.कीट-व्याधि की दवा एक साथ मिलाकर भी छिड़काव किया जा सकता है. साथ ही साथ उन्होंने कहा ये सभी दवाई किसान भाई को मात्रा का अनुपात वैज्ञानिक तरीके से उपयोग करनी चाहिए. साथ ही पौधों में कीट-व्याधि खत्म होने के बाद पौधे अगर कमजोर हो तो घुलनशील उर्वरकों का उपयोग कर उत्पादन की बढ़ोतरी कर सकते हैं.
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FIRST PUBLISHED : May 22, 2024, 23:45 IST