बरनाला विधानसभा चुनाव: प्रमुख उम्मीदवारों की बातचीत
बरनाला विधानसभा क्षेत्र में आगामी चुनाव में आम आदमी पार्टी (आप), भा.ज.पा., और कांग्रेस के उम्मीदवार मैदान में हैं। इस क्षेत्र में अब तक शिरोमणि अकाली दल, कांग्रेस, और आप को मौका दिया गया है, लेकिन इस बार शिअद चुनाव से बाहर है और भाजपा ने जोर शोर से चुनावी मैदान में उतरने का निर्णय लिया है। इस क्षेत्र में रोजगार, खेलों का विकास, और मूलभूत सुविधाओं का अभाव प्रमुख मुद्दे बने हुए हैं।
आइए, इन प्रमुख उम्मीदवारों के विचारों पर एक नजर डालते हैं:
हरिंदर सिंह धालीवाल (आम आदमी पार्टी)
राजनीति में एंट्री
हरिंदर सिंह धालीवाल ने बताया कि उनकी राजनीति में एंट्री अन्ना आंदोलन से हुई थी। वे स्थानीय सांसद मीत हेयर के साथ दिल्ली में आंदोलन में शामिल होते थे, और फिर जब आम आदमी पार्टी बनी, तो उन्होंने पार्टी की गतिविधियों में हिस्सा लिया। उन्होंने अब तक कोई चुनाव नहीं लड़ा, लेकिन पार्टी ने उन पर विश्वास जताया और उन्हें सीधे विधानसभा चुनाव में उम्मीदवार के रूप में उतारा।
मुख्य मुद्दे
धालीवाल का कहना है कि पार्टी का हमेशा विकास पर जोर रहा है। उनके लिए सीएम भगवंत मान के नेतृत्व में पिछले ढाई साल में जो काम हुआ है, वह बरनाला के विकास के लिए फायदेमंद साबित हुआ है। उनका फोकस युवाओं के लिए रोजगार के अवसर उत्पन्न करने, मल्टीपर्पज स्पोर्ट्स स्टेडियम और आउटर रिंग रोड के डबल लाइन निर्माण पर रहेगा, ताकि ट्रैफिक जाम की समस्या कम हो और दुर्घटनाओं को रोका जा सके।
चुनौती
धालीवाल का मानना है कि आप सरकार ने ढाई साल में जो काम किया है, वह पिछले 25 साल में नहीं हुआ। उनका पूरा विश्वास है कि लोग अब विकास के नाम पर उनकी पार्टी को समर्थन देंगे और घटिया राजनीति को नकारेंगे।
केवल सिंह ढिल्लों (भा.ज.पा.)
चुनाव जीतने के बाद प्राथमिकताएं
केवल सिंह ढिल्लों पहले भी इस क्षेत्र से दो बार विधायक रहे हैं। उनका मुख्य मुद्दा स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार करना है। वे 40 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले अस्पताल को फिर से शुरू करने की योजना बना रहे हैं, जो मौजूदा सरकार के आने के बाद ठंडे बस्ते में चला गया था। इसके अलावा, खेल स्टेडियम और पासपोर्ट ऑफिस जैसे मुद्दों पर भी वे काम करेंगे, ताकि युवाओं को चंडीगढ़ या बठिंडा जाने की जरूरत न पड़े।
किसान आंदोलन और भाजपा का विरोध
केवल सिंह ढिल्लों ने किसान आंदोलन के बारे में कहा कि पंजाब में आप सरकार किसानों के मुद्दों का समाधान करने में नाकाम रही है। उन्होंने यह भी दावा किया कि केंद्र सरकार किसानों के साथ है और डीएपी खाद की कमी को भी दूर किया गया है। उनका मानना है कि भाजपा के खिलाफ जो विरोध है, वह अब खत्म हो रहा है और इस बार भाजपा को सभी वर्गों का समर्थन मिलेगा।
चुनौती
उनका कहना है कि पार्टी का लोकसभा चुनाव में वोट शेयर बढ़ा है, और अब भाजपा ही लोगों के लिए एकमात्र विकल्प बची है। आप सरकार ने अपने वादों को पूरा नहीं किया, विशेष रूप से महिलाओं के लिए 1000 रुपये देने का वादा और स्वास्थ्य और शिक्षा के मुद्दे पर कोई काम नहीं किया।
कुलदीप सिंह ढिल्लों (कांग्रेस)
राजनीति में एंट्री
कुलदीप सिंह ढिल्लों ने बताया कि वे पहले से ही कांग्रेस के जिला प्रधान के रूप में सक्रिय थे और उन्होंने स्थानीय स्तर पर लोगों की मदद की है। पार्टी ने उन पर विश्वास जताया और उन्हें विधानसभा चुनाव में उतारा है।
मुख्य मुद्दे
कुलदीप सिंह ढिल्लों का मुख्य ध्यान स्वास्थ्य सेवाओं पर रहेगा। वे बड़ा अस्पताल खोलने का वादा कर रहे हैं ताकि स्थानीय लोगों को स्वास्थ्य सेवाएं मिल सकें। इसके अलावा, वे नई इंडस्ट्री लाने और रोजगार के अवसर बढ़ाने का भी वादा कर रहे हैं। उनका कहना है कि पिछली कांग्रेस सरकार ने बरनाला के विकास पर ध्यान दिया था, और वे उसी दिशा में काम करेंगे।
चुनौती
कुलदीप सिंह ढिल्लों ने कहा कि कांग्रेस ने विकास को हमेशा तवज्जो दी है और वे पिछले कुछ सालों में जो मेहनत कर रहे हैं, उसका स्वागत जनता कर रही है। उनके अनुसार, कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरने के बाद इस उपचुनाव में भी अच्छे नतीजे दिखाएंगे।
निष्कर्ष
बरनाला विधानसभा चुनाव में तीन प्रमुख उम्मीदवार हैं – आम आदमी पार्टी के हरिंदर सिंह धालीवाल, भा.ज.पा. के केवल सिंह ढिल्लों, और कांग्रेस के कुलदीप सिंह ढिल्लों। सभी उम्मीदवारों के पास विकास और स्थानीय समस्याओं का समाधान करने के एजेंडे हैं, लेकिन उनके दृष्टिकोण और प्राथमिकताएं थोड़ी अलग हैं। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि कौन सा उम्मीदवार जनता का विश्वास जीतने में सफल होता है और किसकी नीतियां अधिक प्रभावी साबित होती हैं।