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बड़ी उपलब्धि: मीजल्स और रूबेला की जांच के लिए माइक्रोबायोलॉजी विभाग को मिली WHO की मान्यता

हल्द्वानी: मेडिकल कॉलेज के माइक्रोबायोलॉजी विभाग को मीजल्स और रूबेला की जांच के लिए वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) से मान्यता मिल गई है. उत्तराखंड की यह पहली लैब है, जिसे WHO से यह मान्यता मिली है.

माइक्रोबायोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ उमेश ने बताया कि डब्ल्यूएचओ ने माना है कि राजकीय मेडिकल कॉलेज की माइक्रोबायोलॉजी लैब उच्च श्रेणी में आती है. उन्होंने बताया कि उत्तराखंड के अतिरिक्त पश्चिमी उत्तर प्रदेश से भी मरीजों के सैंपल जांच के लिए हल्द्वानी में आते हैं. इस माह डब्ल्यूएचओ की टीम ने लैब का निरीक्षण किया था. लैब में सभी सुविधाएं मानकों पर खरी उतरीं.

क्या होते है मीजल्स?
इसे खसरा नाम से भी जाना जाता है. यह एक संक्रामक वायरल है. जो छोटे बच्चों के लिए गंभीर हो सकता है. लेकिन टीके से आसानी से रोका जा सकता है. संक्रामक रोग होने के कारण इसमें रूबेला की तरह ही कुछ लक्षण समान दिखाई देते हैं. यह रोग संक्रमित व्यक्ति के हवा में खांसने, छींकने से फैलता है. इसमें खांसी, नाक बहना, आंखों में जलन, गले में खराश, बुखार और त्वचा पर लाल चकत्ते होते हैं. इसमें भी टीका लगाना जरूरी होता है.

क्या होता है रूबेला?
यह एक संक्रामक रोग है, जिसमें संक्रमित होने वाले व्यक्ति को लाल चकत्ते हो जाते हैं. यह बीमारी संक्रमित व्यक्ति की लार या बलगम के संपर्क में आने से फैलती है. इसे टीके लगाकर ही रोका जा सकता है. इस रोग में दो हफ्ते बाद लक्षण दिखाई देते हैं, जिसमें बुखार, सिरदर्द, गला खराब होना, जी मिचलाना आदि शामिल है. इसके लक्षण नजर आने पर दवाइयां से राहत मिल सकती है. टीके से इस बीमारी का इलाज किया जा सकता है .

Tags: Haldwani news, Local18, Uttarakhand news

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