पंजाब के बठिंडा जिले में किसानों और पुलिस के बीच झड़प, धान की खरीद में देरी को लेकर विवाद
बठिंडा जिले के रायके कलां गांव में धान की खरीद में देरी और अन्य समस्याओं को लेकर सोमवार देर शाम किसानों और पुलिस के बीच हिंसक झड़प हो गई। भारतीय किसान यूनियन के कार्यकर्ताओं ने प्रशासन द्वारा नमी की जांच के बिना धान की खरीद से इनकार करने के बाद तहसीलदार और खरीद निरीक्षक को बंधक बना लिया। इस दौरान किसान मंडी में पंजाब सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर रहे थे। स्थिति तब और बिगड़ गई जब पुलिस को हस्तक्षेप करना पड़ा।
पुलिस जब शाम 5:30 बजे मौके पर पहुंची, तो किसानों ने उग्र रूप अपनाते हुए पथराव किया। इसके बाद पुलिस ने स्थिति को काबू में करने के लिए लाठीचार्ज किया। पुलिस प्रशासन ने कहा है कि इस मामले में कानूनी कार्रवाई की जाएगी, और दोषियों के खिलाफ उचित कदम उठाए जाएंगे। वहीं, किसानों ने आरोप लगाया कि नमी जांच के नाम पर उनकी फसल की खरीद में देरी हो रही है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति प्रभावित हो रही है और फसल खराब होने का खतरा बढ़ रहा है।
किसानों ने मांग की है कि धान की खरीद प्रक्रिया को पारदर्शी बनाया जाए और नमी जांच के बिना भी जल्द से जल्द खरीद की जाए। उनका कहना है कि नमी जांच के बहाने खरीद में जानबूझकर देरी की जा रही है। इस घटना के बाद विभिन्न किसान संगठनों ने भी विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है। किसान मजदूर संघर्ष कमेटी के नेता सरवन सिंह पंधेर ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री भगवंत मान और केंद्र सरकार मिलकर बड़े घरानों को किसानों की मंडियों पर कब्जा करने का अवसर दे रहे हैं।
इसके अलावा, बठिंडा से सांसद हरसिमरत कौर बादल ने इस घटना की कड़ी निंदा की है। उन्होंने कहा कि यह पहला मौका है जब किसानों पर मंडी में लाठीचार्ज किया गया है, जबकि किसान अपनी फसल बेचने के लिए आए थे। उन्होंने पंजाब सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि मुख्यमंत्री भगवंत मान किसानों की समस्याओं का समाधान करने के बजाय उन पर लाठियां चला रहे हैं।
अकाली दल यूथ के राष्ट्रीय सचिव सर्बजीत सिंह ने भी इस घटना की आलोचना की और इसे निंदनीय बताया। उन्होंने कहा कि किसानों की फसल नहीं बिक रही और सरकार उनके साथ अत्याचार कर रही है, जो बिलकुल अस्वीकार्य है।
इस घटनाक्रम ने पंजाब में किसानों के संघर्ष को एक बार फिर सुर्खियों में ला दिया है, और सरकार के खिलाफ विरोध और आक्रोश बढ़ता जा रहा है।