First Indigenous Surgical Robot Mantra: टेलीसर्जरी और टेलीमेडिसीन के क्षेत्र में डॉक्टरों की टीम ने कमाल कर दिया है. पहली बार देश में स्वदेशी तकनीकी से तैयार सर्जिकल रोबोट ‘मंत्र’ के माध्यम से दूर बैठे डॉक्टरों की टीम ने सफल ऑपरेशन किया है. मंत्र रोबोट इसमें बहुत बड़ा भागीदार बना है और आने वाले समय में इससे टेलीसर्जरी के क्षेत्र में क्रांति आने की संभावना है. दरअसल, गुड़गांव के राजीव गांधी कैंसर इंस्टीट्यूट एंड रिसर्च सेंटर (RGCIRC) की एक प्रशिक्षित टीम ने यहां से 40 किलोमीटर दूर दिल्ली के रोहिणी के ऑपरेशन थियेटर में एक मरीज का सफल ऑपरेशन किया है. मंत्र रोबोट को सक्षम बनाने में फाइबर ऑप्टिक केबल यानी इंटरनेट के मजबूत डोर ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. संस्थान के मेडिकल डायरेक्टर सर्जन डॉ. एस के रावल के नेतृत्व में मरीज का यूरेनरी ब्लैडर कैंसर का ऑपरेशन किया गया. इस ऑपरेशन को करने में 45 मिनट का समय लगा है.
छोटे शहरों के लिए वरदान होगा मंत्र
टीओआई की रिपोर्ट के मुताबिक डॉ. एसके रावल ने बताया कि मंत्र रोबोट के माध्यम से इस तरह की जटिल सर्जरी देश में पहली बार की गई है. इसमें मेड इन इंडिया सर्जिकल रोबोट मंत्र ने कमाल का काम किया है और आने वाले समय में यह रोबोट देश के दूर दराज के शहरों के लिए क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है. इस रोबोट के माध्यम से अपने क्षेत्र में दक्ष सर्जन कहीं से भी कहीं बैठे मरीज का ऑपरेशन कर सकते हैं. इस टेक्नोलॉजी ने डॉक्टरों को मरीज के पास रहने की जरूरत को खत्म कर दिया है.
कैसे बना मंत्र
वास्तव में इंटरनेशनल कंपनियों के सर्जिकल रोबोट बहुत महंगे होते हैं. इसलिए छोटे शहरों या दूर-दराज तक इसे पहुंचाने में बहुत दिक्कत आती है. इस परेशानी को देखते हुए कार्डिएक सर्जन डॉ. सुधीर श्रीवास्तव ने इसे सर्जिकल रोबोट को विकसित किया है. यह रोबोट बेहद सस्ता है और उम्मीद है कि इस रोबोट के माध्यम से छोटे शहरो में जरूरतमंद लोगों का ऑपरेशन सफलतापूर्वक किया जा सकेगा. एक्सपर्ट सर्जन देश के किसी भी हिस्से से देश के किसी भी हिस्से में परेशान मरीज का सफल ऑपरेशन कर सकते हैं.
किस बीमारी से पीड़ित था मरीज
रिपोर्ट के मुताबिक 52 साल के दिल्ली के एक शख्स को यूरेनरी ब्लैडर कैंसर था. उसे रोहिणी के एक ऑपरेशन थियेटर में रखा गया और वहीं इस मंत्र रोबोट के माध्यम से ऑपरेशन किया गया. इस प्रक्रिया के दौरान डॉक्टरों की टीम ने गाइडेड रोबोटिक आर्म्स की मदद से मरीज के यूरेनरी ब्लैडर और ब्लैडर के साइड में लिंफ नोड्स को काटकर हटा दिया. एडवांस टेक्नोलॉजी के कारण डॉक्टरों ने बेहद सटीकता के साथ एक-एक मिलीमीटर का ध्यान रखा. इस मंत्र रोबोट के कारण मरीज को सिर्फ 4 से 5 सेंटीमीटर का चीरा लगाना पड़ता है जबकि अगर कोई डॉक्टर हाथ से ऑपरेशन करे तो इसमें 15 से 20 सेंटीमीटर का चीरा लगाना पड़ेगा.
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FIRST PUBLISHED : June 18, 2024, 18:24 IST