मंडीः 18वीं लोकसभा के पहले सत्र के तीसरे दिन संसद पहुंचीं सांसद कंगना रनौत ने इमरजेंसी के 50 साल पूरे होने पर कांग्रेस पार्टी पर हमला बोला. उन्होंने कहा, ‘जो सबसे ज्यादा संविधान की दुहाइयां देते हैं, उनको इस बात की भी जिम्मेदारी लेनी चाहिए. वो अपनी दादी और पिताजी ने नाम पर वोट बटोरते हैं तो क्या वे उनके किए कारनामों की भी जिम्मेदारी लेते हैं? आज जो संविधान की सबसे ज्यादा दुहाइयां देते हैं वे खुद का भी ट्रैक रिकॉर्ड देखें.’
बता दें कि मंगलवार को इमरजेंसी की 50 साल पूरे हुए, जिसपर सत्ता पक्ष ने जबरदस्त हमला किया. वहीं बुधवार को स्पीकर चुने जाने के बाद लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने भी इमरजेंसी पर सदन में टिप्पणी की. उन्होंने कहा, ‘आपातकाल भारतीय लोकतंत्र का एक काला अध्याय है; तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने आपातकाल लगाया और संविधान पर हमला किया.
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने 1975 में कांग्रेस सरकार द्वारा लगाए गए आपातकाल की लोकसभा में निंदा करते हुए बुधवार को एक प्रस्ताव पढ़ा और कहा कि वह कालखंड काले अध्याय के रूप में दर्ज है ‘जब देश में तानाशाही थोप दी गई थी, लोकतांत्रिक मूल्यों को कुचला गया था और अभिव्यक्ति की आजादी का गला घोंट दिया गया था.’ इस दौरान सदन में कांग्रेस और कई अन्य विपक्षी दलों के सदस्यों ने जोरदार हंगामा किया और नारेबाजी की.
आपातकाल पर एक प्रस्ताव पढ़ते हुए बिरला ने कहा, ‘अब हम सभी आपातकाल के दौरान कांग्रेस की तानाशाही सरकार के हाथों अपनी जान गंवाने वाले नागरिकों की स्मृति में मौन रखते हैं.’ इसके बाद सत्तापक्ष के सदस्यों ने कुछ देर मौन रखा, हालांकि इस दौरान विपक्षी सदस्यों ने नारेबाजी और टोकाटाकी जारी रखी. मौन रखने वाले सदस्यों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, उनकी मंत्रिपरिषद के सभी सदस्य और सत्तापक्ष के अन्य सांसद शामिल रहे.
बिरला ने कहा, ‘यह सदन 1975 में आपातकाल लगाने के निर्णय की कड़े शब्दों में निंदा करता है। इसके साथ ही हम उन सभी लोगों की संकल्पशक्ति की सरहाना करते हैं जिन्होंने आपातकाल का विरोध किया और भारत के लोकतंत्र की रक्षा का दायित्व निभाया.’
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FIRST PUBLISHED : June 26, 2024, 15:21 IST