भीलवाड़ा. यूं तो अपने आगरा के जूतों के बारे में काफी सुना होगा ये सिर्फ आगरा ही नहीं पूरे देश में प्रसिद्ध हैं. आज हम आपको बताएंगे भीलवाड़ा के एक ऐसे लोकल नाम की जहां बने जूते-जूतियां अब दूसरे प्रदेशों तक जा रहे हैं. हम बात कर रहे हैं भीलवाड़ा के गणेश मोची की. यहां करीब 150 वैरायटी आपको मिल जाएंगी.
भीलवाड़ा में गणेश मोची ब्रांड की अब कई दुकानें हैं. ये नाम अब एक ब्रांड बन गया है. इसकी शुरुआत सबसे पहले परिहार परिवार के मुखिया ने 1970 में की थी. वो पुलिस लाइन में जूते बनाते थे. बाद में उन्होंने अपना खुद का बिजनेस चालू करने का सोचा और आज परिवार इस मुकाम पर पहुंच गया है कि वह ब्रांड बन गया. इस ब्रांड के जूतों की मांग राजस्थान से लेकर गुजरात और मध्य प्रदेश तक रहती है. एक छोटी सी शॉप से शुरू हुए इस काम से अब इस परिवार का 90 लाख रुपए का टर्नओवर है.
1970 से शुरू हुआ सफर
इस उद्यमी परिवार के नरेश परिहार ने बताया जूते बनाने का उनका पुश्तैनी काम है. 1970 में उनके दादाजी भीलवाड़ा में पुलिस लाइन में जूते बनाते थे. साथ ही एक छोटी सी शॉप थी. शुरुआत में वहां तीन-चार कारीगर ही काम करते थे. धीरे धीरे काम बढ़ता गया. आज हमारे पास 25 कारीगर हैं और भीलवाड़ा में उनकी चार ब्रांच हैं. भीलवाड़ा के अलावा अब उनका काम अजमेर, उदयपुर और चित्तौड़गढ़ तक फैल गया. राजस्थान के इन जिलों में भी उनकी दुकान हैं.
रोजाना 100 से 150 जूतियां
नरेश बताते हैं दिनभर में उनके यहां 100 से 150 प्रकार के जूते जूतियां रोजाना तैयार की जाती है. इसमें उनके खासतौर से फॉम, फॉर्मल और लेदर में भी अलग-अलग वैरायटी बनायी जाती हैं. केवल लेदर की वैरायटी में उनके यहां 50 तरह के शूज तैयार किये जाते हैं. दादाजी द्वारा शुरू किया गया यह काम हमारे परिवार की पहचान बन गया है. भीलवाड़ा शहर में हमारे यहां बनने वाले जूते नाम से बिकते है. राजस्थान सहित उनके हाथों से तैयार किए गए, जूते – मोजड़ी गुजरात, मध्यप्रदेश तक जाते हैं.
सालाना 90 लाख का टर्नओवर
नरेश परिहर बताते हैं आज उनका 90 लाख रुपए का सालाना टर्नओवर है. इसमें 10% उनका प्रॉफिट रहता है. उनके कारीगर काम दिनभर में 150 से 200 पीस तैयार करते हैं.
Tags: Bhilwara news, Local18, MSME Sector
FIRST PUBLISHED : June 27, 2024, 20:56 IST