उत्तराखंड के जोशीमठ में जमीन धंसने की खबरों ने सबको झकझोर दिया था. लगातार हो रही ऐसी घटनाओं की वजह से इस शहर को ‘sinking zone (धंसता क्षेत्र)’ भी घोषित किया जा चुका है. लेकिन ये इकलौता ऐसा शहर नहीं है, जिसकी जमीनें धंस रही हों. आज हम आपको रूस के एक ऐसे शहर के बारे में बताने जा रहे हैं, जो धीरे-धीरे धरती में समाता जा रहा है. इस शहर का नाम बेरेज्निकी है, जो यूराल के पहाड़ों पर स्थित है. इस शहर की कुल आबादी 1 लाख 50 हजार से ज्यादा थी. लेकिन इसके धंसने की वजह चौंकाने वाली है.
बता दें कि इसे सीधे पोटाश खदान के ऊपर बनाया गया था, जो सोवियत काल के दौरान सामान्य था. पोटाश निकालने के लिए इसकी लगातार खुदाई भी होती रही. ऐसे में सालों-सालों तक उत्खनन के बाद शहर के जमीन के नीचे गहरे गड्ढे बन गए, जो किसी गुफा की तरह थे. इन विशाल भूमिगत गुफाओं की छतें घुलनशील नमक की दीवारों और खंभों पर ही टिकी हुई हैं. ऐसे में 2006 में जब सतह से लगभग 720 से 1,500 फीट नीचे खदान में मीठे पानी का झरना बहने लगा, जिसने नमक की दीवारों और खंभों को नष्ट कर दिया. इससे जमीन के ऊपर बनी इमारतें अचानक धंस गईं. शहर के कई हिस्से इस सिंकहोल की वजह से प्रभावित हुई. लेकिन उनमें से सबसे बड़ा “द ग्रैंडफादर” है, जो लगभग चार सौ मीटर चौड़ा और दो सौ मीटर से अधिक गहरा है.
ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि इससे पोटाश खदानों तक आने-जाने वाली एकमात्र रेल लाइन को अपनी चपेट में लेने का भी खतरा बढ़ गया है. बता दें कि बेरेज्निकी वो शहर है, जहां से दुनिया का लगभग दस प्रतिशत पोटाश निकलता है. इसकी वजह से लोगों के पास नौकरियां भी हैं. ऐसे में अगर इन खदानों को बंद किया जाता है तो स्थानीय अर्थव्यवस्था को नुकसान होगा. हालांकि, शहर के कई हिस्से पूरी तरह जमीन में धंस चुके हैं, लेकिन अब इससे बचने के लिए नई-नई टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जा रहा है. इसमें वीडियो सर्विलांस सिस्टम, भूकंपीय सेंसर, नियमित सर्वेक्षण और छतों, फुटपाथों और सड़कों की ऊंचाई में परिवर्तन की सैटेलाइट सहित उच्च तकनीक वाले उपकरणों से सिंकहोल्स के बनने की भविष्यवाणी बेरेज्निकी में किया जाता है.
शहर को शिफ्ट करने का भी प्लान
जमीन के धंसने की वजह से यहां के अधिकारी और खनन में लगीं कंपनियां अब इस शहर को वहां बहने वाली कामा नदी के दूसरे तट पर बसाने की बात कर रहे हैं, जहां की जमीन बिल्कुल ठोस है. लेकिन इंजीनियरों ने उन्हें आश्वासन दिया है कि सिंकहोल बनने का युग खत्म हो गया है, और कोई नया होल नहीं बनेगा. बता दें कि साल 2019 के पहले तक लगभग 12,000 लोग बेरेज्निकी छोड़ चुके हैं, वहीं, जिन्होंने यहां रहने का फैसला किया है, उन्हें कड़ी निगरानी रखा जाता है.
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FIRST PUBLISHED : April 1, 2024, 11:30 IST