नई दिल्ली. ट्रेन में सफर करने वाले यात्रियों को वेटिंग टिकट मिलता है, चार्ट बनने से पहले से इनमें से कई यात्रियों के पास टिकट कंफर्म का मैसेज आता है, लेकिन बर्थ या सीट नंबर अलॉट नहीं की जाती है. आखिर ऐसा क्यों होता है. 99 फीसदी को इसकी वजह पता नहीं होती है. इस संबंध में रेलवे ने इसकी खास वजह बताई, जानकर आप भी रेलवे की तारीफ करेंगे.
भारतीय रेल के डायरेक्टर इनफॉरमेशन एंड पब्लिसिटी शिवाजी मारुति सुतार के अनुसार ट्रेन छूटने से चार घंटे पहले ट्रेन का चार्ट तैयार हो जाता है. चार्ट बनने से पहले बहुत से यात्री टिकट कैंसिल कराते हैं. उनकी सीट खाली होती हैं. इसके अलावा हर कोच में इमरजेंसी कोटा तय होता है, जो रेलवे मंत्रालय की ओर से लगता है. कई बार इस कोटे की सीटें या बर्थ भर नहीं पाती हैं, वो खाली रह जाती हैं.
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ये है वजह
चार्ट तैयार करने से पहले रेलवे का आटोमैटिक सिस्टम खाली सीटों या बर्थ को उन वेटिंग टिकट वाले यात्रियों की प्राथमिकता के अनुसार देता है, जिन्होंने रिजर्वेशन कराते समय सीट की प्राथमिकता बताई है. साथ ही, सॉफ्टवेयर सीनियर सिटीजंस या सामान्य महिला को भी प्राथमिकता के आधार पर नीचे की सीट आवंटित करता है. भले ही इन लोगों ने रिजर्वेशन कराते समय किसी तरह की प्राथमिकता न चुनी हो.
इसके अलावा एक पीएनआर में छह लोगों का रिजर्वेशन होता है.
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अगर उनमें से तीन को कंफर्म और तीन को वेटिंग मिला है, तो सिस्टम वेटिंग वाले तीनों यात्रियों को कंफर्म के साथ या आसपास सीट अथवा बर्थ देने का प्रयास करता है. इन तमाम वजहों से कई बार रेलवे वेटिंग टिकट को कंफर्म बता देता है, लेकिन सीट या बर्थ नंबर चार्ट बनने के बाद ही आवंटित करता है.
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FIRST PUBLISHED : June 10, 2024, 17:01 IST